शनैश्चरी अमावस्या पर करें शनिदेेेव को प्रसन्न, पाएं बाधाओं सेे मुक्ति

punjabkesari.in Friday, Mar 12, 2021 - 10:59 AM (IST)

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हमारे पौराणिक शास्त्रों व हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू कैलेंडर यानी पंचांग में एक साल में कुल 12 अमावस्या होती हैं। धर्म ग्रंथों में इसे पर्व भी कहा गया है। अगर साधारण शब्दों में हम कहें तो जिस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है, उस दिन को अमावस्या कहते हैं। अमावस्या को पूर्वजों का दिन भी कहा जाता है। दिन के अनुसार पड़ने वाली अमावस्या के अलग-अलग नाम होते हैं। जैसे सोमवार को पड़ने वाले अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं । उसी तरह शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं । पितृदेव को अमावस्या का स्वामी माना जाता है इसीलिए इस दिन पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म या पूजा -पाठ करना अनुकूल माना जाता है। बहुत से लोग अपने पूर्वजों के नाम से हवन करते है और प्रसाद आदि चढ़ाते हैं।

एक वर्ष में आने वाली 12 अमावस्या में शनैश्चरी अमावस्या विशेष महत्व रखती है। वर्ष 2021 में दो अमावस्याएं शनिवार के दिन पड़ रही हैं। पहली अमावस्या शनिवार 13 मार्च को फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या है। इसके बाद 04 दिसम्बर 2021, शनिवार को मार्गशीर्ष अमावस्या यानी शनिचरी अमावस्या पड़ेगी। शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहा जाता है। यह दिन उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है जो न्याय के देवता शनि की प्रकोप से बचना चाहते हैं या जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढय्या है। मान्यता है कि इस दिन शनि देव की पूजा करने से उनके कारण पड़ने वाले बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है। शनिश्चरी अमावस्या के दिन की गई शनि की आराधना का फल अवश्य मिलता है। पितृ दोष से भी मुक्ति के उपाय किए जाते हैं। इस दिन नदियों में स्नान के साथ ही दान धर्म का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन शनि देव को प्रसन्न कर नौकरी में उन्नति, व्यापार में वृद्धि, घर-परिवार में सुख शांति प्राप्त की जा सकती है। 

शनैश्चरी अमावस्या या फाल्गुन अमावस्या 13 मार्च को है। शनैश्चरी अमावस्या तिथि का प्रारंभ 12 मार्च को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट से हो रहा है, जो 13 मार्च को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इस बार शनिचरी अमावस्या  शनिवार के दिन पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, साध्य योग, नाग करण व कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। अमावस्या पर चार ग्रहों का योग भी बनेगा। इनमें क्रमशः सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र कुंभ राशि में रहेंगे। अर्थात शनि की राशि में ही चर्तुग्रही युति योग बनेगा। दान धर्म में इसका विशेष महत्व बताया गया है। आमतौर पर देव कार्य और पितृ कार्य के लिए शनिश्चरी अमावस्या अलग-अलग तिथि में पड़ती है, लेकिन इस बार देव कार्य और पितृ कार्य के लिए शनैश्चरी अमावस्या एक ही दिन पड़ रही है।

जो लोग शनि दोष, शनि साढ़ेसाती, शनि की ढैया या शनि संबन्धी किसी अन्य परेशानी से पीड़ित हैं, उन लोगों के लिए शनैश्चरी अमावस्या के दिन कुछ उपाय करने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। शनैश्चरी अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद आपको पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। इसमें त्रिदेव का वास माना जाता है। इसकी पूजा करने से शनि देव भी प्रसन्न होते हैं। शनैश्चरी अमावस्या के दिन आपको पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। शनिवार के दिन आपको शमी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने वाले से शनि देव प्रसन्न होते हैं क्योंकि शमी का पेड़ उनको प्रिय है। शनैश्चरी अमावस्या के दिन शमी के पेड़ के पास दीपक जलाएं। इससे साढ़ेसाती या ढैय्या की पीड़ा से राहत मिलती है।  शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या की पीड़ा से राहत पाने के लिए सबसे आसान और प्रभावी उपाय है संकटमोचन हनुमान जी की पूजा करना। उनकी पूजा करने वाले को शनि देव परेशान नहीं करते हैं।

शनैश्चरी अमावस्या के दिन काले कुत्ते या काली गाय को रोटी में सरसों का तेल लगाकर खिला दें तो शनि के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलेगी। शनैश्चरी अमावस्या के दिन आप शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करें। इससे भी शनि देव प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा पितरों की शांति के लिए तर्पण नांदी श्राद्ध, शनि मंत्र का जप, शनिवार का व्रत एवं शनि की प्रिय वस्तुओं जैसे काला वस्त्र, सरसों का तेल, काले उड़द, काले तिल, लोहा, कंबल, छाता आदि का दान करना चाहिए। जिन राशियों पर शनि का प्रकोप है वे भगवान शनिदेव का विधि विधान से पूजन करें। इस दिन पूजन करने से शनि देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com


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Content Writer

Jyoti

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