Shani amavasya: 21 जनवरी का दिन है खास, 16 गुना अधिक पुण्य के लिए इस विधि से करें दान

punjabkesari.in Friday, Jan 20, 2023 - 07:50 AM (IST)

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Shani amavasya 2023: हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है और इस बार 21 जनवरी शनिवार के दिन अमावस्या का विशेष संयोग बन रहा है। जिसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाता है। यह अमावस्या इस साल की पहली अमावस्या है इसलिए इसके खास मायने हैं। 7 जनवरी से माघ महीने की शुरूआत हो चुकी है। माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहते हैं और जब यह अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है तो इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। मौनी अमावस्या के दिन सूर्य तथा चन्द्रमा गोचरवश मकर राशि में आते हैं इसलिए यह दिन एक संपूर्ण शक्ति से भरा हुआ है और पावन अवसर बन जाता है। मकर राशि, सूर्य तथा चन्द्रमा का योग इसी दिन होने से इस अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है।

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Shani amavasya shubh muhurat: मौनी अमावस्या और शनि अमावस्या  21 जनवरी सुबह 6:17 से शुरू होगी और 22 जनवरी को सुबह 2:22 तक रहेगी। स्नान आदि कार्यक्रम सूर्योदय के समय से होता है इसलिए मौनी अमावस्या 21 जनवरी को है। इस दिन ही नदियों में स्नान होगा।

Mauni Amavasya 2023: ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था इसलिए भी इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मुनि शब्द से मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस दिन मौन रहने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या के व्रत में मौन धारण करने का विशेष महत्व बताया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, मुंह से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कहीं गुना ज्यादा पुण्य मौन रहकर जाप करने से मिलता है। अगर दान से पहले सवा घंटे तक मौन रख लिया जाए तो दान का फल 16 गुना अधिक बढ़ जाता है और मौन धारण कर व्रत का समापन करने वाले को मुनि पद की प्राप्ति होती है।

Benefits of fast on Mauni Amavasya: माघ अमावस्या के दिन मौन रहने के व्रत का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखना चाहिए। धीरे-धीरे अपनी वाणी को संयत करके अपने वश में करना ही मौन व्रत है। कई लोग इस दिन से मौन व्रत रखने का प्रण करते हैं। यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि कितने समय के लिए वह मौन व्रत रखना चाहता है।

Maun vrat karne ke fayde: अगर मौन रहना संभव न हो तो माघ अमावस्या के दिन कटु वचनों को नहीं बोलना चाहिए। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है। अमावस्या के दिन चंद्र देव के दर्शन नहीं होते हैं। इससे मन की स्थिति कमजोर रहती है इसलिए अमावस्या के दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान और दान करने से इंसान के कई जन्मों के पाप मिट जाते हैं। मौनी अमावस्या के दिन लोग स्नान करने के लिए पवित्र नदियों के घाट पर जाते हैं।

Magh Amavasya daan: माघ मास की अमावस्या के दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। माघ महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान होता है। इसमें स्नान करने से सभी पाप मिट जाते हैं, निरोगी काया प्राप्त होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज, हरिद्वार समेत देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर स्नान होता है और लोग स्नान करके पुण्य प्राप्त करते हैं।

Magh Amavasya upay: जो लोग घर पर स्नान करके अनुष्ठान करना चाहते हैं, उन्हें पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन सूर्यनारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है।

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इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए।

गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं।

अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौशाला में गाय के लिए भोजन का दान करें।

आप अमावस्या के दिन गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी कर सकते हैं।

हर अमावस्या की भांति माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस दिन ब्रह्मदेव और गायत्री का भी पूजन विशेष फलदायी होता है। अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें। जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है या जन्म कुंडली में चंद्रमा नीच का है, उन्हें दूध, चावल, खीर, मिश्री, बताशा दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। कुंडली में चंद्रमा कमजोर होने पर गाय को दही और चावल खिलाएं तो मानसिक शांति प्राप्त होगी।

इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

मौनी अमावस्या के दिन भी स्नान के बाद पितरों को तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म करते हैं। पितरों की आत्म तृप्ति के लिए ऐसा किया जाता है। जिनको पितृ दोष होता है, वे लोग अमावस्या के दिन ये सब उपाय करते हैं। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंश को आगे बढ़ने एवं सुखी जीवन का आशीष देते हैं।

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जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही है, वे शनि अमावस्या पर अवश्य दान करें।  शनिचरी अमावस्या पर पानी में काले तिल डालकर नहाने से शनि दोष दूर होता है। इस दिन काले कपड़े में काले तिल रखकर दान देने से साढ़ेसाती और ढैय्या से परेशान लोगों को राहत मिल सकती है। साथ ही एक लोटे में पानी और दूध के साथ सफेद तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाने से पितृदोष का असर भी कम होने लगता है।

गुरमीत बेदी
9418033344

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Content Writer

Niyati Bhandari

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