Shakambhari Utsav Aarambh: जब शाकंभरी देवी ने धरती के खजाने को नमक में बदल दिया...

punjabkesari.in Friday, Dec 30, 2022 - 08:31 AM (IST)

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Shakumbhari Devi story: शाकंभरी देवी मां दुर्गा के रूपों में एक सौम्य अवतार है। शिव महापुराण तथा महाभारत में भी इनका व्याख्यान है। शाकंभरी मां को भीमा, भ्रामरी, शताक्षी के नाम से भी जाना जाता है। शाकंभरी माता को चौहान वंश की कुलदेवी कहते हैं लेकिन माता को अन्य कई धर्म और समाज के लोग भी पूजते हैं। राजस्थान और उत्तरप्रदेश में यह लोकदेवी के रूप में प्रसिद्ध हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां शाकंभरी के साथ बहुत सारी कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। तो आइए पढ़ते है की किस तरह मां लोगों के कल्याण के लिए प्रकट हुई थी।

History of Shakambhari Devi शाकंभरी देवी का इतिहास: पौराणिक किवदंतियों के अनुसार एक बार दुर्गम नाम के राक्षस ने पृथ्वी पर हाहाकार मचा दिया। चारों तरफ अंधेरा छा गया। उस दैत्य ने ब्रह्मा जी के चारों वेद चुरा लिए थे। अन्न-जल की कमी होने के कारण सारे लोग मरने लगे। तब आदिशक्ति शाकंभरी देवी के रूप में प्रकट हुई। उनकी 100 आंखें थी। दैत्यों को खत्म करने के लिए मां जोर-जोर से रोने लगी और उनकी 100 आंखों से अश्रु बहने लगे। अश्रुपात से सब तरफ जल भर गया, पूरी धरती जल में डूब गई और अंत में मां शाकंभरी ने उस दैत्य को मार दिया।

Shakumbhari Devi story: अन्य कथा के अनुसार पहले समय में एक बार धरती पर अन्न और जल का अकाल पड़ गया। बहुत दिनों से बारिश भी नहीं हुई, जिसके कारण पेड़-पौधे सूखने लगे। इस समस्या को खत्म करने के लिए मां दुर्गा ने शाकंभरी देवी का अवतार लिया और लोगों के सब कष्ट दूर किए।

When angry goddess turned the treasure into salt जब गुस्से में देवी ने खजाने को बना दिया नमक: पौराणिक कथाओं के अनुसार मां शाकंभरी के तप से धरती पर बहुत धन-संपदा उत्पन्न हुई। इसी धन को लेकर धरती पर लड़ाई-झगड़े शुरू हो गए। जब समस्या बहुत ही ज्यादा बढ़ गयी, तब मां ने गुस्से मे आकर सारे खजाने को नमक में बदल दिया। उसके बाद वहां सांभर झील की उत्पत्ति हुई।

Kuldevi of Chauhan Vansh चौहान वंश की कुलदेवी: पुराने समय से ही मां शाकंभरी को चौहान वंश की कुलदेवी कहा जाता है। यह परंपरा बहुत समय से चली आ रही है। इस वंश के व्यक्तियों से अपने आप से ही देवी की पूजा शुरू कर दी थी। मां शाकंभरी अपने भक्तों की सारी समस्याओं को हल कर देती हैं। आज भी कई जगह पर माता के बड़े-बड़े मेले लगते हैं और बड़ी श्रद्धा से लोग इनका पूजन करते हैं।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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