इस मंदिर में होती है माता की 'पीठ' की पूजा, जानिए इससे जुड़ी जानकारी

punjabkesari.in Monday, Jun 13, 2022 - 12:22 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमारे देश में अनेकों मंदिर हैं जहां देवी-देवताओं की प्रतिम स्वरूप विधि वत पूजा अर्चना करने का महत्व है। तो वहीं कई ऐसे भी मंदिर हैं जहां पूजा अर्चना से जुड़ा विभिन्न प्रकार की मान्यताएं प्रसिद्ध हैं। इन्हीं मंदिर में राजस्थान के एक मंदिर का नाम शामिल है। दरअसल हम बात कर रहे हैं, शैलाश्रय गुहा मंदिर की जिससे जुड़ी मान्यता बेहद अनोखी है। जी हां, लोक मत के अनुसार माता के इस मंदिर में माता के स्वरूप की सामने से नहीं बल्कि पीछे से पूजा की जाती है। अब आप सोच रहे होंगे भला ये हम क्या कह रहे हैं। परंतु ये सच है जी हां, जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं वहां माता की पीठ की पूजा की जाती है। 
PunjabKesari Brahmani Mata Mandir Rajasthan, Shailashray Guha Temple, Shailashray Guha Mandir, शैलाश्रय गुहा मंदिर

बता दें ब्रह्माणी माता का ये प्राचीन मंदिर राजस्थान के बारां जिला से 28 किलोमीटर दूर सोरसन में स्थित है। विश्व में यह पहला मंदिर है जहां पर माता की पीठ (पृष्ठ भाग) की पूजा की जाती है। स्थानीय लोग इसे ‘पीठ पूजाना’ कहते हैं। देवी प्रतिमा की पीठ पर प्रतिदिन सिंदूर लगाया जाता है और कनेर के पत्तों से श्रृंगार किया जाता है। साथ ही देवी को नियमित रूप से दाल-बाटी का भोग लगाया जाता है। इसे शैलाश्रय गुहा मंदिर भी कहते हैं। मंदिर में झालावाड़ के शासक झाला जालिम सिंह ने सीढ़ियां बनवाई थीं। यहां पर माघ शुक्ल सप्तमी को गधों का मेला भी लगता है। मंदिर के तीन प्रवेश द्वारों में से दो द्वार कलात्मक हैं। मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वाभिमुख है। परिसर के मध्य स्थित देवी मंदिर में गुम्बद द्वार मंडप और शिखरयुक्त गर्भगृह है। गर्भगृह के प्रवेश द्वार की चौखट 5 गुणा 7 फुट की है, लेकिन प्रवेश मार्ग 3 गुणा अढ़ाई फुट का ही है। इसमें झुक कर ही प्रवेश किया जा सकता है। मंदिर के गर्भगृह में विशाल चट्टान है। चट्टान में बनी चरण चौकी पर माता की पाषाण प्रतिमा विराजमान हैं। यहां माता का प्राकट्य करीब 700 वर्ष पहले का बताया जाता है। तब देवी सोरसन के खोखर श्री गौड़ ब्राह्मण पर प्रसन्न हुई थीं। तब से खोखरजी के वंशज ही इस मंदिर में पूजा करवाते हैं।

‘मिनी खजुराहो’ के नाम से प्रसिद्ध मंदिर 
भांड देवरा मंदिर राजस्थान में बारां से 40 किलोमीटर दूर रामगढ़ पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और राजस्थान में बेहद लोकप्रिय है। इसे मिनी खजुराहो के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर रामगढ़ की पहाड़ी पर एक तालाब के किनारे बना है। तालाब के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण उल्कापिंड के गिरने से हुआ  है। अपने समय में मंदिर बहुत भव्य हुआ करता था। आज यह कुछ जर्जर हालत में है लेकिन फिर भी काफी आकर्षक है। 
PunjabKesari  मिनी खजुराहो, Mini Khajuraho, Dharmik Sthal, Religious Place in India, Hindu teerth Sthal, Dharm
कांगड़ा का ‘भागसूनाथ मंदिर’
यह एक मध्ययुगीन मंदिर है जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में मैकलोडगंज से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित है। मंदिर में हिंदुओं और गोरखा समुदाय की अत्यधिक श्रद्धा है। पवित्र मंदिर अपने दो सरोवरों के लिए भी प्रसिद्ध है जिनके बारे में माना जाता है कि इनमें उपचार के गुण हैं। भागसूनाथ मंदिर में सितम्बर के महीने में लगने वाला वार्षिक मेला भी दुनिया भर में मशहूर है। डल झील, कोतवाली बाजार और भागसू फॉल इस पवित्र मंदिर के आसपास के मुख्य आकर्षण हैं। किंवदंती है कि राजा भागसू ने नाग देवता से क्षमा मांगने के बाद इस मंदिर का निर्माण किया था। नाग देवता क्रोध से आग-बबूला हो गए क्योंकि राजा भागसू ने यहां पवित्र नाग डल झील से पानी चुरा लिया था। बाद में, राजा ने अपनी गलती का पश्चाताप किया और नाग देवता की श्रद्धा में इस मंदिर का निर्माण किया।
PunjabKesari  भागसूनाथ मंदिर, Bhagsunath Temple, Dharm
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News