सेन महाराज जयंती: जब पराक्रमी राजा भी हो गया सेन जी के आगे नतमस्तक, जानें ये रोचक कथा

punjabkesari.in Sunday, Apr 19, 2020 - 04:29 PM (IST)

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आज यानि 19 अप्रैल, 2020 को सेन महाराज की जंयती मनाई जा रही है। कहा जाता है इनकी प्ररेक बातें न केवल प्राचीन समय में लोगों के उपयोगी थी बल्कि लोग आज के समय में भी इनके द्वारा बताए संदेशों पर अमल करते हैं। तो चलिए जानते है इनका एक ऐसा किस्सा जो अति प्रसिद्ध और रोचक है। बता दें प्रत्येक वर्ष वैसाख मास के कृष्ण पक्षी की द्वादशी तिथि को ही सेन महाराज जी की जयंती मनाई जाती है।

सेन महाराज को लेकर एक कथा प्रचलित है, मान्‍यता है की वे एक राजा के पास काम करते थ। उनका काम राजा की मालिश करना, बाल और नाखून काटना था। उन दिनों भक्‍त मंडलियों का जोर था। ये मंडलियां जगह-जगह जाकर पूरी रात भजन कीर्तन के आयोजन किया करती थी। एक दिन संत मंडली सैन जी के घर आई सैन जी ईश्‍वर भक्ति में इस तरह लीन हो गए कि सुबह राजा के पास जाना ही भूल गए। कहा जाता है कि स्‍वयं ईश्‍वर सैन जी का रूप धारण करके राजा के पास पहुंच गए।

भगवान ने राजा की सेवा इतनी श्रद्धा के साथ की कि राजा प्रसन्न हो गया और उसने अपने गले का हार उनके गले में डाल दिया। अपनी माया शक्ति से भगवान ने वो हार सैन जी के गले में डाल दिया और उन्‍हें पता तक नहीं चला। बाद में जब सैन जी को होश आया तो वो डरते-डरते महल में गए, उन्‍हें लग रहा था कि समय पर न पहुंचने की वजह से राजा उन्‍हें बहुत डांटेगा। सैन जी को देखकर राजा ने कहा, 'अब आप फिर क्‍यों आए हैं? हम आपकी सेवा से बहुत खुश हुए. क्‍या कुछ और चाहिए?

राजा की बात सुनकर सैन महाराज बोले, 'मुझे क्षमा कर दीजिए राजन, पूरी रात कीर्तन होता रहा इसलिए मैं समय से नहीं आ सका। इस बात को सुनकर राजा को बड़ी हैरानी हुई। राजा ने कहा, 'अरे आप तो आए थे, आपकी सेवा से प्रसन्‍न होकर मैंने आपको हार दिया था और वो अभी आपके गले में भी है। सैन हार देखकर चौंक गए उन्‍हें एहसास हो गया कि स्वयं भगवान उनका रूप धारण करके आए और मेरी जगह राजा की सेवा की। संत सेन महाराज की बात सुनकर राजा उनके चरणों में नतमस्‍तक हो गया।


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Jyoti

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