गुरु प्रदोष व्रत: इस दिन शिव जी देते हैं शत्रुओं से मुक्ति का आशीर्वाद

punjabkesari.in Thursday, Aug 05, 2021 - 10:37 AM (IST)

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जैसे कि सब जानते हैं 25 जुलाई से श्रावण मास का प्रारंभ हो चुका है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यूं तो श्रावण का पूरा महीना शिव जी की पूजा के लिए विशेष होता हैै। परंतु जब श्रावण मास में प्रदोष व्रत व मासिक शिवरात्रि का पर्व पड़ता है तो इस दौरान शिव जी की आराधना का महत्व की गुना बढ़ जाता है। आज यानि 05 अगस्त को श्रावण मास का प्रदोष व्रत पड़ रहा है। जो गुरुवार के दिन पड़ने के कारण गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि जिस तरह भगवान विष्णु की पूजा एकादशी के दिन करना अति फलदायी मानी जाती है ठीक उसी प्रकार प्रदोष व्रत, शिव चतुर्दशी आदि के दिन की गई शिव जी की पूजा अर्चना अति फलदायक मानी जाती है। तो आइए जानते हैं कृष्ण प्रदोष व्रत करने से क्या क्या लाभ प्राप्त होते हैं। बती दें प्रत्येक माह की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है तो वहीं अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु प्रदोष व्रत रखने से बृहस्पति ग्रह शुभ प्रभाव देते हैं। साथ ही साथ पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है यह प्रदोष शत्रु एवं खतरों के विनाश के लिए किया जाता है। तो वहीं इस व्रत को करने वाला व्यक्ति को हर तर की सफलता पाता है।

ज्योतिष विद्वान बताते हैं कि जो व्यक्ति ये व्रत करता है तो उसकी कुंडली में स्थित चंद्र दोष समाप्त हो जाता है। ज्योतिष मान्यता है चंद्र के सुधार होने से कुंडली में मौजूद शुक्र में भी सुधार होता तथा शुक्र के सुधरने से बुध में भी सुधार आता है। खासतौर पर मानसिक बैचेनी खत्म होती है।

बता दें धार्मिक ग्रंथों के अनुसार त्रयोदशी (तेरस) के देवता त्रयोदशी और शिव हैं। त्रयोदशी में कामदेव की पूजा करने से मनुष्य उत्तम भार्या प्राप्त करता है तथा उसकी सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। कहा जाता है यह जयप्रदा अर्थात विजय देने वाली तिथि मानी जाती हैं।

उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, ऐसा कहा जाता है हरा मूंग पृथ्‍वी तत्व है जो मंदाग्नि को शांत रखता है।

इस व्रत के दौरान लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक का सेवन करना चाहिए, हालांकि पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं।

नित्यकर्म से निपटने के बाद सफेद रंग के कपड़े पहनकर पूजाघर को साफ और शुद्ध करें और गाय के गोबर से लीप कर मंडप तैयार करें।

मंडप के नीचे 5 अलग अलग रंगों का प्रयोग कर के रंगोली बनाएं। फिर उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और शिव जी की पूजा करें तथा पूरे दिन किसी भी प्रकार का अन्य ग्रहण न करें।
 


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Content Writer

Jyoti

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