Baglamukhi Jayanti 2025: भय, शत्रु और संकटों से रक्षा के लिए बगलामुखी जयंती के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ
punjabkesari.in Sunday, May 04, 2025 - 03:36 PM (IST)

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Baglamukhi Jayanti 2025: हिंदू धर्म में दस महाविद्याओं का विशेष महत्व है, जिनमें से देवी बगलामुखी आठवीं महाविद्या मानी जाती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत तेजस्वी, प्रभावशाली और अद्वितीय है। मान्यता है कि इनकी उपासना से शत्रु, भय, कोर्ट-कचहरी के मामले, तंत्र बाधा और मानसिक भय दूर होते हैं। बगलामुखी जयंती देवी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस दिन बगलामुखी देवी के स्तोत्र का पाठ करने से अद्भुत आत्मबल, मानसिक स्थिरता और विजयश्री की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं बगलामुखी जयंती 2025 की तिथि, पूजन विधि, विशेष स्तोत्र और इस दिन की महिमा।
Maa Baglamukhi Stotra मां बगलामुखी स्तोत्र का पाठ
ओम् ब्रह्मास्त्र-रुपिणी देवी, माता श्रीबगलामुखी। चिच्छिक्तिर्ज्ञान-रुपा च, ब्रह्मानन्द-प्रदायिनी॥
महा-विद्या महा-लक्ष्मी श्रीमत्-त्रिपुर-सुन्दरी। भुवनेशी जगन्माता, पार्वती सर्व-मंगला॥
ललिता भैरवी शान्ता, अन्नपूर्णा कुलेश्वरी। वाराही छिन्नमस्ता च, तारा काली सरस्वती॥
जगत् -पूज्या महा-माया, कामेशी भग-मालिनी। दक्ष-पुत्री शिवांकस्था, शिवरुपा शिवप्रिया॥
सर्व-सम्पत्-करी देवी, सर्व-लोक वशंकरी। वेद-विद्या महा-पूज्या, भक्ताद्वेषी भयंकरी॥
स्तम्भ-रुपा स्तम्भिनी च, दुष्ट-स्तम्भन-कारिणी। भक्त-प्रिया महा-भोगा, श्रीविद्या ललिताम्बिका॥
मेना-पुत्री शिवानन्दा, मातंगी भुवनेश्वरी। नारसिंही नरेन्द्रा च, नृपाराध्या नरोत्तमा॥
नागिनी नाग-पुत्री च, नगराज-सुता उमा। पीताम्बरा पीत-पुष्पा च, पीत-वस्त्र-प्रिया शुभा॥
पीत-गन्ध-प्रिया रामा, पीत-रत्नार्चिता शिवा। अर्द्ध-चन्द्र-धरी देवी, गदा-मुद्-गर-धारिणी॥
सावित्री त्रि-पदा शुद्धा, सद्यो राग-विवर्द्धिनी। विष्णु-रुपा जगन्मोहा, ब्रह्म-रुपा हरि-प्रिया॥
रुद्र-रुपा रुद्र-शक्तिद्दिन्मयी भक्त-वत्सला। लोक-माता शिवा सन्ध्या, शिव-पूजन-तत्परा॥
धनाध्यक्षा धनेशी च, धर्मदा धनदा धना। चण्ड-दर्प-हरी देवी, शुम्भासुर-निवर्हिणी॥
राज-राजेश्वरी देवी, महिषासुर-मर्दिनी। मधु-कैटभ-हन्त्री च, रक्त-बीज-विनाशिनी॥
धूम्राक्ष-दैत्य-हन्त्री च, भण्डासुर-विनाशिनी। रेणु-पुत्री महा-माया, भ्रामरी भ्रमराम्बिका॥
ज्वालामुखी भद्रकाली, बगला शत्र-ुनाशिनी। इन्द्राणी इन्द्र-पूज्या च, गुह-माता गुणेश्वरी॥
वज्र-पाश-धरा देवी, जिह्वा-मुद्-गर-धारिणी। भक्तानन्दकरी देवी, बगला परमेश्वरी ॥
फल श्रुति
अष्टोत्तरशतं नाम्नां, बगलायास्तु यः पठेत्। रिपु बाधा-विनिर्मुक्तः, लक्ष्मीस्थैर्यमवाप्नुयात्॥
भूत-प्रेत-पिशाचाश्च, ग्रह-पीड़ा-निवारणम्। राजानो वशमायाति, सर्वैश्वर्यं च विन्दति॥
नाना-विद्यां च लभते, राज्यं प्राप्नोति निश्चितम्। भुक्ति-मुक्तिमवाप्नोति, साक्षात् शिव-समो भवेत्॥
Benefits of reading Maa Baglamukhi Stotra मां बगलामुखी स्तोत्र पढ़ने के लाभ
जो लोग डर, घबराहट, आत्मविश्वास की कमी या मानसिक दबाव में रहते हैं, उन्हें नियमित स्तोत्र पाठ से मानसिक स्थिरता और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
जो लोग कोर्ट केस, कानूनी विवाद, ऑफिस पॉलिटिक्स या किसी प्रशासनिक परेशानी में फंसे हैं, उनके लिए यह स्तोत्र वरदान समान है। देवी की कृपा से फैसला आपके पक्ष में आने की संभावनाएं बढ़ती हैं।
स्तोत्र पाठ से साधक के भीतर आत्मबल, साहस और आंतरिक ऊर्जा का संचार होता है। जीवन में सकारात्मकता, आत्मविश्वास और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
मां बगलामुखी की साधना और स्तोत्र पाठ तांत्रिक दोष, नजर लगना, ऊपरी बाधा आदि नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।