Sarvapitri Amavasya: सर्वपितृ अमावस्या पर करें ये काम, मृत पूर्वजों की आत्माओं को प्राप्त होगा सुख
punjabkesari.in Tuesday, Sep 16, 2025 - 04:52 PM (IST)

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Sarvapitri Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या ऐसा अवसर है, जब हम अपने पितरों को सामूहिक रूप से श्रद्धांजलि और तर्पण देकर उनके आशीर्वाद से सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इस दिन पितरों की आत्मा पृथ्वी पर विशेष रूप से उपस्थित होती है इसलिए श्रद्धापूर्वक किया गया अर्पण उन्हें तुरंत प्राप्त होता है।
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सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करें। जल, तिल और कुशा से पितरों को अर्पण करें। ब्राह्मण या गौ-सेवा के माध्यम से भोजन कराना उत्तम है। अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़ और धातु का दान विशेष पुण्यकारी है। गंगा स्नान और तर्पण से पितरों की आत्मा तृप्त होकर उच्च लोक को प्राप्त होती है। गंगा या पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों के नाम तर्पण करने से मृत पूर्वजों की आत्माओं को परलोक या अन्य योनियों में सुख प्राप्त होता है। पितृदोष की शांति होती है और जीवन में रुके कार्य भी गति पकड़ते हैं।
Sarvapitri Amavasya Shraddha vidhi सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध विधि: शास्त्रनुसार सर्वपितृ अमावस्या को 16 ब्राह्मणों के भोज का मत है। घर की दक्षिण दिशा में सफ़ेद वस्त्र पर पितृ यंत्र स्थापित कर उनके निमित, तिल के तेल का दीप व सुगंधित धूप करें। चंदन व तिल मिले जल से तर्पण दें। तुलसी पत्र समर्पित करें।
कुशासन पर बैठाकर गीता के 16वें अध्याय का पाठ करें। इसके उपरांत ब्राह्मणों को खीर, पूड़ी, सब्ज़ी, कढ़ी, भात, मावे के मिष्ठान, लौंग-ईलाची व मिश्री अर्पित करें। यथाशक्ति वस्त्र-दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।
इस दिन रात्रि में पितृ अपने लोक जाते हैं। पितृ को विदा करते समय उन्हें रास्ता दिखाने हेतु दीपदान किया जाता है। अतः सूर्यास्त के बाद घर की दक्षिण दिशा में तिल के तेल के 16 दीप करें। इस विधि से पितृगण सुखपूर्वक आशीर्वाद देकर अपने धाम जाते हैं।