Paush Month 2025: आज से शुरू हुआ पौष का महीना, मान-सम्मान की प्राप्ति के लिए इन मंत्रों का करें जाप
punjabkesari.in Friday, Dec 05, 2025 - 10:15 AM (IST)
Paush Month 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह को भगवान सूर्यदेव की उपासना के लिए अत्यंत विशेष और पवित्र माना गया है। यह महीना भगवान सूर्य को समर्पित है, जिनकी विधिवत पूजा और मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को मान-सम्मान, उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पौष मास में सूर्य की पूजा से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में तेज और यश का संचार होता है। इस माह में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दौरान सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे धनु संक्रांति भी कहा जाता है। यह समय जप, तप और ध्यान के लिए बहुत ही उत्तम माना गया है। आज 5 दिसंबर से पौष का महीना शुरू हो चुका है और ऐसे में यदि कुछ खास मंत्रों का जाप किया जाए तो जीवन में मनचाही सफलता देखने को मिलती है।

सूर्यदेव को प्रसन्न करने वाले महामंत्र
पौष माह में प्रतिदिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने और उनके मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। यहां कुछ प्रमुख और अत्यंत प्रभावशाली सूर्य मंत्र दिए जा रहे हैं, जिनका जाप करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं:
अर्घ्य देते समय का सरल मंत्र:
जब आप तांबे के लोटे से सूर्यदेव को जल अर्पित करें, तो इस सरल मंत्र का जाप अवश्य करें। इससे रोगों का नाश होता है और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।मंत्र: ॐ सूर्याय नमः
ॐ घृणि सूर्याय नमः
सूर्य गायत्री मंत्र:
यह मंत्र भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करने का सबसे शक्तिशाली माध्यम माना जाता है। इसके जाप से ज्ञान, तेज और सफलता प्राप्त होती है।
ॐ भास्कराय विद्महे, महातेजाय धीमहि। तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।
ॐ आदित्याय विद्महे, दिवाकराय धीमहि। तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्।

Surya Namaskar Mantra सूर्य नमस्कार मंत्र
ॐ मित्राय नमः
ॐ रवये नमः
ॐ सूर्याय नमः
ॐ भानवे नमः
ॐ खगाय नमः
ॐ पूषणे नमः
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
ॐ मरीचये नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ सवित्रे नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ भास्कराय नमः
आरोग्य और दीर्घायु के लिए सूर्य स्तोत्र:
पौष माह में प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें। इसमें लाल चंदन, लाल फूल और थोड़े से अक्षत मिलाएं।
सूर्योदय के समय, सूर्यदेव के सामने खड़े होकर जल की धारा अर्पित करें। जल की धारा के बीच से सूर्यदेव के दर्शन करें।
अर्घ्य देते समय ऊपर दिए गए मंत्रों में से किसी एक का, जैसे ॐ सूर्याय नमः, का कम से कम 11, 21, या 108 बार जाप करें।

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