Sarva Pitru Amavasya: सर्वपितृ अमावस्या पर इन लोगों को दिया गया निमंत्रण, पितरों को करता है तृप्त और संतुष्ट
punjabkesari.in Sunday, Sep 14, 2025 - 02:00 PM (IST)

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Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या, जिसे महालय अमावस्या भी कहा जाता है, पितृपक्ष का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनका तिथि अनुसार श्राद्ध किसी कारणवश नहीं हो पाया हो, या जिनकी मृत्यु-तिथि ज्ञात न हो। इसे “सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या” भी कहा जाता है। पितृपक्ष पंद्रह दिनों का होता है और सर्वपितृ अमावस्या इसके अंत का प्रतीक है। इस दिन समस्त पितरों को सामूहिक रूप से तर्पण व श्राद्ध अर्पित किया जाता है। जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, या जिनके वंशज श्राद्ध की तिथि भूल गए हों, उनके लिए यह अमावस्या सर्वोत्तम मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन तर्पण, दान और ब्राह्मण भोजन कराने से पितृ प्रसन्न होते हैं। पितरों की कृपा से परिवार में सुख, समृद्धि और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध पितरों को मोक्ष दिलाने में सहायक होता है।
शास्त्र कहते हैं, जब भी घर पर श्राद्ध करें विवाहित बहन और बेटी को सपरिवार निमंत्रण दें।
श्राद्ध कर्म पूर्ण तभी होता है जब गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं के लिए एक अंश भोजन अर्पित किया जाए।
गाय को चारा अवश्य खिलाएं, इससे ब्राह्मण भोज का फल प्राप्त होता है।
ब्राह्मण-ब्राह्मणी को सपिरवार भोजन पर आमंत्रित करें अन्यथा उनका भोजन दक्षिणा के साथ पैक करके उनके घर दे आएं।
श्राद्ध के दिन जो कोई भी आपके घर आए, उसे भोजन अवश्य करवाएं।
अमावस्या के दिन तेल मालिश, नाखून काटना, बाल कटवाने जैसे काम न करें।
पान भी नहीं खाएं।
गाय में सभी हिंदू देवी-देवता वास करते हैं, श्राद्ध में गौ माता के दूध से बने घी, दूध और दूध से बने पदार्थों का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए।
सूर्यास्त के बाद राक्षसी शक्तियां हावी हो जाती हैं, इस समय श्राद्ध नहीं करना चाहिए।
मंदिर अथवा तीर्थ पर किए गए श्राद्ध से पितर अति प्रसन्न होते हैं।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।