Garuda Purana: क्यों कुछ लोग जन्म लेते ही बन जाते हैं लकी ? जानें गरुड़ पुराण की भविष्यवाणी
punjabkesari.in Tuesday, Nov 25, 2025 - 01:50 PM (IST)
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Garuda Purana: गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक है, जिसमें जीवन, मृत्यु और उसके बाद के रहस्यों का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह पुराण भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच हुए संवाद पर आधारित है। इसमें श्री कृष्ण ने मनुष्य के कर्म, भाग्य और पुनर्जन्म के सिद्धांत को स्पष्ट किया है। गरुड़ पुराण के अनुसार, कुछ लोग जन्म से ही अत्यंत भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें पिछले जन्मों के पुण्य कर्मों के फल स्वरूप इस जीवन में वैभव, सम्मान और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्तियों की पहचान उनके गुणों, स्वभाव और यहां तक कि शारीरिक लक्षणों से भी की जा सकती है।

पूर्व जन्म के पुण्य से मिलने वाले भाग्यशाली गुण
दया और करुणा का भाव
ऐसे लोग दूसरों का दुःख देखकर तुरंत द्रवित हो जाते हैं। वे केवल अपने स्वार्थ के बारे में नहीं, बल्कि स्वयं से पहले दूसरों के कल्याण के बारे में सोचते हैं। गरीबों, असहाय व्यक्तियों और पशु-पक्षियों की मदद करना इनके स्वभाव का अभिन्न अंग होता है। ये निःस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं।
सरल और सौम्य व्यवहार
इनकी बोली अत्यंत मीठी और प्रभावपूर्ण होती है। ये अपने शब्दों से किसी को आहत नहीं करते और हर किसी से विनम्रतापूर्वक बात करते हैं। ये हर व्यक्ति का आदर करते हैं, चाहे वह अमीर हो या गरीब, छोटा हो या बड़ा। इनके व्यवहार में कोई छल या कपट नहीं होता। इन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो कोई सज्जन आत्मा मानव रूप में अवतरित हुई हो।
धर्म और सत्य में निष्ठा
ये लोग स्वाभाविक रूप से धार्मिक होते हैं और सत्य के मार्ग पर चलते हैं। ये धर्म-शास्त्रों का सम्मान करते हैं और जीवन में नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देते हैं।गरुड़ पुराण में श्री कृष्ण कहते हैं कि जो मनुष्य हमेशा अपने माता-पिता की सेवा और आदर करता है, वह अत्यंत भाग्यशाली होता है और उसे पिछले जन्मों के पुण्य का फल मिलता है।

भाग्यशाली व्यक्तियों की शारीरिक पहचान
तेजस्वी व्यक्तित्व और आकर्षण
ऐसे लोगों के चेहरे पर एक प्राकृतिक तेज होता है, जो उनकी भीतर की पवित्रता और अच्छे कर्मों को दर्शाता है। उनका संपूर्ण व्यक्तित्व आकर्षक और प्रभावशाली होता है, जिससे लोग अनायास ही उनकी ओर खिंचे चले आते हैं।
सुंदर और सुसंगठित दांत
धर्म शास्त्रों में उल्लेख है कि जिन लोगों के दांत सुंदर, चमकदार और सुसंगठित होते हैं, वे पूर्वजन्म में पुण्य कर्म करने वाले होते हैं। यह एक ऐसा लक्षण है जो सीधे पूर्व जन्म के शुभ कर्मों से जुड़ा माना जाता है।
कर्म और भाग्य का सिद्धांत
गरुड़ पुराण यह स्पष्ट करता है कि मनुष्य का भाग्य उसके पिछले जन्मों के कर्मों पर निर्भर करता है। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं:
मनुष्य कर्म करने के लिए स्वतंत्र है, वह अपनी इच्छानुसार कर्म करता है, परंतु उन कर्मों का फल मैं स्वयं देता हूं।
जिन लोगों ने पिछले जन्म में दान, परोपकार, धर्म-पालन और निःस्वार्थ सेवा जैसे अच्छे कर्म किए होते हैं, वे इस जन्म में धन-वैभव, उच्च पद, सम्मान और सुख-शांति प्राप्त करते हैं। उनकी बुद्धि तीव्र होती है और वे ज्ञान अर्जित करने में सफल होते हैं। वहीं, जो लोग स्वार्थ, पाप और अहंकार में जीते हैं, उन्हें अगले जन्म में दुर्भाग्य और कष्टों का सामना करना पड़ता है।

