Sarva Pitru Amavasya 2025: कब है सर्वपितृ अमावस्या ? पितरों की आत्मा की शांति के लिए करें ये काम
punjabkesari.in Thursday, Sep 11, 2025 - 06:00 AM (IST)

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Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या, जिसे मातृ पक्ष अमावस्या या पितृ अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि है। यह दिन पितरों की आत्मा की शांति और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए समर्पित होता है। सनातन धर्म में मान्यता है कि इस दिन किए गए पिंडदान, तर्पण, और श्राद्ध कर्म से पितर की आत्मा को मोक्ष मिलता है और परिवार में सुख, समृद्धि, और खुशहाली बनी रहती है। 16 दिनों तक चले वाले इस पितृ पक्ष में जो आखिरी दिन होता है उसे सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं। तो चलिए जानते हैं इस बार कब है अमावस्या।
Sarva Pitru Amavasya Date कब है सर्वपितृ अमावस्या
दैनिक पंचांग के अनुसार आश्विन माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 21 सितंबर को रात 12 बजकर 16 मिनट पर होगी और अगले दिन 22 सितंबर को देर रात 1 बजकर 23 मिनट पर इसका समापन होगा। इसके अनुसार 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाएगी।
कुतुप मूहूर्त - सुबह 11: 50 मिनट से दोपहर 12: 38 मिनट तक
रौहिण मूहूर्त - दोपहर 12: 38 मिनट से 1:27 मिनट तक
अपराह्न काल - दोपहर 1: 27 मिनट से दोपहर 3:53 मिनट तक
सर्वपितृ अमावस्या पर किन कार्यों का करें विशेष ध्यान?
तर्पण और पिंडदान करें
सर्वपितृ अमावस्या के दिन सबसे महत्वपूर्ण कार्य तर्पण और पिंडदान करना होता है। पिंडदान में गेहूं, चावल या सत्तू से बने पिंड पितरों को अर्पित किए जाते हैं। तर्पण में जल, दूध और पानी का प्रयोग कर पितरों को जल अर्पित किया जाता है। तर्पण करते समय मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जो पितरों के उद्धार में सहायक होता है।
दान-पुण्य करें
इस दिन दान का भी विशेष महत्व है। गरीबों, जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करें। दान से पितरों को सुख की प्राप्ति होती है और यह आपके कर्मों को भी शुद्ध करता है।
पितृ स्मरण और पूजा
सर्वपितृ अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों की स्मृति में पूजा करें। परिवार के बड़े बुजुर्ग या पंडित के द्वारा किए गए श्राद्ध कर्म का पालन करें। यह कर्म आपके पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करता है।
विशेष स्थानों पर पिंडदान करें
सर्वपितृ अमावस्या के दिन गयाजी, द्वारका, वाराणसी और पूरी जैसे पवित्र स्थलों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यदि आप वहां नहीं जा सकते तो अपने घर के पास नदी, तालाब या किसी पवित्र जल स्रोत के किनारे पिंडदान करें।