सर्वपितृ अमावस्या : किस स्थान पर करना चाहिए श्राद्ध, जानें यहां!
punjabkesari.in Sunday, Oct 03, 2021 - 03:15 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से पितृ पक्ष प्रारंभ होता है जो आश्विन मास की अमावस्या तिथि तर चलता है। जो इस बार 20 सितंबर से शुरू हो चुका है जिसका समापन 06 अक्टूबर सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा। धार्मिक किंवदंतियों के अनुसार इस दौरान श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान और पूजन करने का एक निश्चित समय होता है। तो वहीं श्राद्ध करने के लिए शास्त्रों में कुछ खास स्थानों का भी वर्णन किया गया है। बता दें इस बार 06 अक्टूूूबर को सर्वपितृ अमावस्या पड़ रही है, जो पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता, इसलिए जो लोग संपूर्ण पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध आदि जैसे कार्य नहीं कर पाते। वो इस दिन श्राद्ध कर सकते हैं। तो अगर आप भी इससे जुड़ी जानकारी जानना चाहते हैं जैसे कि श्राद्ध कहां व कि स्थान पर करना चाहिए तो नीचे दी गई जानकारी जरूर पढ़ें।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्राद्ध अपने घर में रहकर भी किया जा सकता है, पर इस दौरान इस बात का ख्याल रखना चाहिए ये कार्य दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ही करें।
पितृ पक्ष के दौरान व सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करने के लिए किसी पावन नदी, संगम या समुद्र का उपयोग करना चाहिए। कहा जाता है पावन नदियों के तट पर उचित समय में विधि विधान से श्राद्ध करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषी बताते हैं कि श्राद्ध कार्य किसी तीर्थ क्षेत्र के अलावा वट-वृक्ष के नीचे भी किया जा सकता है। तो इस
इसके अतिरिक्त जिस गौशाला में बैल न हो, ऐसी गौशाला में उचित स्थान को गोबर को लीपकर व शुद्ध करके श्राद्ध कार्य किया जा सकता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि पावन पर्वत के शिखर पर भी श्राद्ध कार्य किए जा सकते हैं। साथ ही साथ वनों में, स्वच्छ और मनोहर भूमि पर भी विधि विधान से श्राद्ध किया जा सकता है।
बता दें दूसरों की भूमि और अपवित्र भूमि पर श्राद्ध करना शुभ नहीं होता। इसके विपरीत भूमि स्वयं को होनी चाहिए या सार्वजनिक होनी चाहिए। यदि दूसरे के गृह या भूमि पर श्राद्ध करना पड़े तो उसका किराया भूस्वामी को जरूर देना चाहिए।
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