Ekdant Sankashti Chaturthi 2022: इसलिए ‘सर्वप्रथम’ पूजे जाते हैं भगवान गणेश

punjabkesari.in Thursday, May 19, 2022 - 08:16 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ekdant Sankashti Chaturthi 2022: शिवपुराण के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्ति भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। अपने माता-पिता की परिक्रमा लगाने के कारण शिव-पार्वती ने उन्हें विश्व में सर्वप्रथम पूजे जाने का वरदान दिया था। तब से ही गणेश पूजा आराधना का प्रचलन है। प्राचीन काल में बालकों का विद्या अध्ययन आज के दिन से ही प्रारंभ होता था।

PunjabKesari  Sankashti Chaturthi

आदिदेव महादेव के पुत्र गणेश जी का स्थान विशिष्ट है। कोई भी धार्मिक उत्सव, यज्ञ, पूजन इत्यादि सत्कर्म हो या फिर विवाहोत्सव या अन्य मांगलिक कार्य हो, गणेश जी की पूजा के बगैर शुरू नहीं हो सकता।

निर्विघ्न कार्य सम्पन्न हो इसलिए शुभ के रूप में गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है। भारत के शैव और वैष्णव दोनों ही पंथों में गणेश जी की प्रथम पूजा का प्रचलन और महत्व माना गया है।

हर काम की शुरुआत में गणपति को पहले मनाया जाता है। शिक्षा से लेकर नए वाहन तक, व्यापार से लेकर विवाह तक हर काम में पहले गणपति को ही आमंत्रित किया जाता है। ऐसा कौन सा कारण है कि हम गणपति के बिना कोई काम आरंभ नहीं कर सकते? आखिर किस कारण गणपति को पहले पूजा जाता है? गणपति को पहले पूजे जाने के पीछे बड़ा ही दार्शनिक कारण है, हम इसकी ओर ध्यान नहीं देते कि इस बात के पीछे संदेश क्या है।

PunjabKesari  Sankashti Chaturthi

दरअसल गणपति बुद्धि और विवेक के देवता हैं। बुद्धि से ही विवेक आता है और दोनों के साथ होने पर कोई भी काम किया जाए उसमें सफलता मिलना निश्चित है। हम जब गणपति को पूजते हैं तो यह आशीर्वाद मांगते हैं कि हमारी बुद्धि स्वस्थ रहे और हम सही वक्त पर सही निर्णय लेते रहें ताकि हमारा हर काम सफल हो। इसके पीछे संदेश यही है कि आप जब भी कोई काम शुरू करें अपनी बुद्धि को स्थिर रखें, इसलिए गणपति जी का चित्र भी कार्ड पर बनाया जाता है। साथ ही गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।

शादी जैसा बड़ा आयोजन बिना किसी विघ्न के सम्पन्न हो जाए इसलिए सबसे पहले श्री गणेश को पीला चावल और लड्डू का भोग अर्पित कर पूरा परिवार एकत्रित होकर उनसे शादी में पधारने के लिए प्रार्थना करता है ताकि शादी में सभी श्री गणेश कृपा से खुश रहें।

भगवान शिव ने जहां कैलाश पर डेरा जमाया तो उन्होंने कार्तिकेय को दक्षिण भारत की ओर शैव धर्म के प्रचार के लिए भेज दिया। दूसरी ओर गणेश जी ने पश्चिम भारत (महाराष्ट्र, गुजरात आदि) तो मां पार्वती ने पूर्वी भारत (असम, पश्चिम बंगाल आदि) की ओर शैव धर्म का विस्तार किया। कार्तिकेय जी ने हिमालय पर्वत के उस पार भी अपने साम्राज्य का विस्तार किया था। कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है।

PunjabKesari  Sankashti Chaturthi

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News