Rishikesh: अध्यात्म और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर ऋषिकेश, इन खास जगहों पर जरूर जाएं
punjabkesari.in Friday, Aug 22, 2025 - 02:25 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Rishikesh: अगर आप भी किसी धार्मिक और आध्यात्मिक जगह पर घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको ऋषिकेश जाना चाहिए। यह प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। ऋषिकेश योग और अध्यात्म की नगरी है और यहां का एडवैंचर भी लोगों को आपकी ओर आकर्षित करता है। खास बात यह है कि आप यहां पर किसी भी समय घूमने के लिए जा सकते हैं। अगर आप ऋषिकेश घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको यहां की इन खास जगहों पर जरूर जाना चाहिए।
त्रिवेणी घाट
ऋषिकेश जाने के दौरान कुछ समय त्रिवेणी घाट पर जरूर बिताना चाहिए। यहां पर तीन नदियों का संगम होता है। धार्मिक मान्यता है कि यह गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। हिंदू पौराणिक कथाओं में यह स्थान सबसे पवित्र माना जाता है। इस घाट पर सुबह, दोपहर और शाम के समय तीन बार गंगा आरती होती है। ऐसे में आपको शाम की गंगा आरती में जरूर शामिल होना चाहिए।
बकेश्वर मंदिर
इसे त्र्यम्बकेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला के पार स्थित है। इसकी स्थापना श्री श्री 108 भ्रमभीम स्वामी कैलाशानंद ने की थी। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और 13 मंजिला है इसलिए यह मंदिर 13 मंजिल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
वशिष्ठ गुफा आश्रम
ऋषिकेश से करीब 25 कि.मी. दूर प्राचीन आश्रम वशिष्ठ गुफा है। यह शांति और ध्यान के लिए अच्छा स्थान है। बताया जाता है कि इस गुफा में स्वामी पुरुषोत्तमानंद ने तप किया था। यहां आने वाले पर्यटकों को इस गुफा को जरूर एक्सप्लोर करना चाहिए।
जानकी सेतु
आध्यात्मिक शहर ऋषिकेश में मौजूद जानकी सेतु की खूबसूरती पर्यटकों का मन मोह सकती है। दरअसल, जी 20 बैठक के दौरान इस स्थान को बहुत सुंदर तरीके से सजाया गया था। सेतु और आस-पास की दीवारों पर रंग-बिरंगी तस्वीरें जानकी सेतु पुल की सुंदरता में चार चांद लगाती हैं। यह फोटोशूट के लिए भी बेहतरीन जगह है। ऋषिकेश में योग पार्क और प्रियदर्शनी पार्क भी बना हुआ है।
बीटल्स आश्रम
बता दें कि साल 1961 में महर्षि महेश योगी द्वारा ऋषिकेश में योग और ध्यान की शिक्षा के लिए एक आश्रम का निर्माण कराया गया था। 60 के दशक में फेमस बीटल्स बैंड ध्यान की खोज में इस आश्रम पहुंचे थे। तब से यह आश्रम बीटल्स आश्रम के नाम से जाना जाने लगा।
लक्ष्मण झूला
लक्ष्मण झूला विश्व प्रसिद्ध झूला पुल है लेकिन यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 2020 में इसे बन्द कर दिया गया। पुरातन कथनानुसार, भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण ने इसी स्थान पर जूट की रस्सियों के सहारे गंगा नदी को पार किया था। स्वामी विशुदानंद की प्रेरणा से कलकत्ता के सेठ सूरजमल झुहानूबला ने यह पुल 1889 में लोहे के मजबूत तारों से बनवाया, इससे पूर्व जूट की रस्सियों का ही पुल था एवं रस्सों के इस पुल पर लोगों को छींके में बिठाकर खींचा जाता था लेकिन लोहे के तारों से बना यह पुल भी 1924 की बाढ़ में बह गया। इसके बाद मजबूत एवं आकर्षक पुल बनाया गया।