ऐसा कौन सा वचन था जो भगवान कृष्ण को द्वापर युग में निभाना पड़ा

punjabkesari.in Sunday, Aug 18, 2019 - 09:42 AM (IST)

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भगवान कृष्ण की छवि को तो सब जानते ही हैं कि वह कितनी मनमोहक है। जो भी उन्हें देखता है तो बस, देखता ही रह जाता है। उनका हर एक रूप इंसान को मोहित कर देने वाला है। किंतु क्या कभी किसी ने ये सोचा है कि उनकी हर प्रतिमा या तस्वीर में उनके हाथ में बांसुरी हमेशा क्यों होती है? अगर नहीं तो आज हम इस सवाल का जवाब देंगे। 
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वैसे तो हम में से बहुत से लोग ऐसे होंगे जो भगवान कृष्ण से जुड़े हर एक रहस्य को जानते होंगे। लेकिन बांसुरी से जोड़ा रहस्य शायद ही कोई जानता होगा। आज हम आपको इसी बारे में कथा से रूबरू करवाने जा रहे हैं। 

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार श्रीकृष्ण यमुना नदी के किनारे बैठकर बांसुरी बजा रहे थे। बांसुरी के मधुर संगीत को सुनकर सारी गोपियां कृष्ण के समीप आकर बैठ गईं और इसी दौरान उन्होंने श्रीकृष्ण को अपनी बातों में उलझाकर उनकी बांसुरी को अपने पास रख लिया। गोपियों ने बांसुरी से सवाल पूछते हुए कहा कि "तुमने पिछले जन्म में ऐसा क्या किया था कि तुम केशव के गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठों पर स्पर्श करती रहती हो।"
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ये सुनकर बांसुरी मुस्कुराने लग गई और उसने कहा कि "मैंने श्रीकृष्ण के समीप आने के लिए जन्मों से प्रतीक्षा की है। त्रेतायुग में जब भगवान राम वनवास काट रहे थे तो उस दौरान मेरी भेंट उनसे हुई थी। उनके आसपास बहुत ही मनमोहक फूल थे, लेकिन उन पौधों की तुलना में मुझमें कोई खास गुण नहीं था। किंतु फिर भी भगवान ने मुझे दूसरे पौधों की तरह ही उतना ही महत्व दिया। उनके कोमल चरणों का स्पर्श पाकर मुझे प्रेम का अनुभव होता था। प्रभु को मेरी कठोरता की कोई परवाह नहीं थी। उनके दिल में अथाह प्रेम था। जीवन में पहली बार मुझे किसी ने इतने प्रेम से स्वीकारा था। इसी वजह से मैंने उनके साथ आजीवन रहने की कामना की, लेकिन उस काल में वो अपनी मर्यादा से बंधे हुए थे। इसलिए उन्होंने मुझे द्वापर युग में अपने साथ रखने का वचन दिया। इस तरह श्रीकृष्ण ने अपना वचन निभाते हुए मुझे अपने पास रखा।"
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बता दें कि भागवतपुराण में श्रीकृष्ण के प्रतीकों और बांसुरी से जुड़ी हुई ऐसी ही कई कहानियां आपको मिल जाएंगी। बांसुरी में जीवन के कई राज छुपे हुए हैं। जैसे कि बांसुरी में गांठ नहीं है, वह एकदम खोखली है। इसका अर्थ यही है कि अपने मन के अंदर किसी भी तरह की गांठ मत रखिए। आपके साथ कोई कुछ भी करें, लेकिन आप अपने व्यवहार में बदलाव कभी न लाएं।  


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