...तब तक जिंदगी खत्म नहीं हो सकती

punjabkesari.in Thursday, Sep 21, 2023 - 09:16 AM (IST)

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Inspirational Story: एक बार बादलों ने आपस में तय कर लिया कि वे अब जमीन पर नहीं बरसेंगे। प्रकृति भी मानवों से क्रुद्ध थी। मानव ने उसके समस्त नियमों का उल्लंघन जो शुरू कर दिया था। अब बादल उमड़ते-घुमड़ते आते और जलती धरती को देखकर वापस लौट जाते। वे आपस में कहते, “मनुष्य को परमात्मा ने सृष्टि का सबसे श्रेष्ठ जीव बनाया परंतु मानव! छि: अपने स्वार्थ में इतना खो गया कि उसने जीवन के सौंदर्य से झूमते पेड़ों को नृशंसतापूर्वक काट दिया। सिर्फ खुद जीने के लिए जिंदगी का हर चिन्ह मिटा दिया अब इसे मिट जाना चाहिए।”

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एक दिन बादल घूम रहे थे। सहसा उनकी नजर एक बालक पर पड़ी। प्रात: से ही भूख से उसकी आंतें कुलबुला रही थीं। अकाल के इस भयंकर समय में रोटी कहां मिलती। सहसा उसने देखा, एक छोटी-सी चिड़िया जो शायद प्यास के कारण मरने जा रही थी उसके सामने गिरी। उसकी चोंच खुली हुई थे और वह निरीह दृष्टि से उस बच्चे की ओर देख रही थी। अपनी भूख मिटाने के लिए उस बच्चे के पास कुछ घूंट पानी ही शेष था। उसने एक बार पक्षी की ओर देखा और एक बार पानी की ओर। उसने पानी का गिलास उठा लिया और बूंद-बूंद कर पक्षी की खुली चोंच में डालने लगा। उसके कांपते हाथों से कुछ पानी जमीन पर गिरता तो कुछ पक्षी के चोंच में। धीरे-धीरे सारा पानी समाप्त हो गया परंतु पक्षी ने अपनी आंखें खोल दीं और पंख फड़फड़ाने लगा। वह बच्चा मुस्कराया और होश खोकर वहीं गिर पड़ा।

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बादल यह सब देख रहे थे। उस नन्हें-से मासूम का यह बलिदान देखकर वे रो पड़े। धरती का आंगन भीगने लगा। लोग मुस्कराने लगे। बादलों ने भी एक-दूसरे को देखा और कहा-“जब तक खुद को दूसरों की खुशियों पर मिटाने वाले लोग है जिंदगी खत्म नहीं हो सकती।”

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Content Writer

Niyati Bhandari

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