Religious Katha: मधुर वचन है औषधि, कटु वचन है तीर
punjabkesari.in Tuesday, Jul 18, 2023 - 09:33 AM (IST)

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Religious Katha: एक सेठ क्रोध में आकर अनाप-शनाप बोलने लगते थे और जरा-सी बात पर किसी को भी शब्दों से इतना आहत कर देते थे कि वह व्यक्ति दुखी और निराश हो जाता था। कुछ लोगों ने इस बात की शिकायत एक संत से की। संत ने सेठ को बुलाकर उसे प्रेम से अपने पास बिठाया और एक गिलास में कुछ पीने को दिया। सेठ ने जैसे ही पहला घूंट मुंह में भरा वैसे ही वह नाक-भौं सिकोड़ते हुए बोला, ‘‘महाराज यह तो बहुत कड़वा है।’’
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संत मुस्कुराकर बोले, ‘‘अच्छा, क्या तुम्हारी जुबान जानती है कि कड़वा क्या होता है?’’
सेठ बोला, ‘‘कड़वी व खराब चीजें तो जुबान पर आते ही पता चल जाती हैं।’’
यह सुनकर संत बोले, ‘‘नहीं, कड़वी चीजें जुबान पर आते ही पता नहीं चलतीं। अगर ऐसा होता तो लोग अपनी जुबान से कड़वी बातें भी क्यों निकालते?’’
संत की बात सुनकर सेठ चुप रहा। उसे संत का इशारा समझ में नहीं आया।
तब संत ने पुन: कहा, ‘‘तुम भी याद रखो, जो व्यक्ति कटु वचन बोलता है, वह किसी व्यक्ति को दुख पहुंचाने से पहले अपनी जुबान को ऐसे ही गंदा करता है, जैसे इस कड़वे पदार्थ ने तुम्हारी जुबान को कर दिया था।’’
यह सुनकर सेठ को संत की बात का मर्म समझ में आ गया। उसकी आंखें खुल गईं और वह संत के सामने नतमस्तक होकर बोला, ‘‘महाराज, आगे से मैं अपनी जुबान कभी गंदी नहीं करूंगा।’’