आपके भाग्य में क्या लिखा है, खुद देखिए

punjabkesari.in Thursday, Mar 07, 2019 - 10:21 AM (IST)

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भाग्य में क्या है? कितना धन मिलेगा? भाग्य अच्छा है या बुरा? भाग्य में घर है या नहीं? विवाह भाग्य में लिखा है या नहीं? सुख है या दुख है जीवन में? इन सब प्रश्नों का उत्तर हथेली में मौजूद भाग्य रेखा देती है। व्यक्ति कितना भी बुद्धिमान क्यों न हो किन्तु उसके भाग्य में अगर सफलता नहीं लिखी हुई है तो व्यक्ति का जीवन व्यर्थ ही गुजर जाता है। भाग्य रेखा का उद्गम हथेली में मणिबंध से होता है तथा भाग्य रेखा मध्यमा उंगली के नीचे शनि पर्वत तक जाती है। किसी-किसी जातक के हाथों में भाग्य रेखा शनि पर्वत को पार करती हुई आगे बढ़ जाती है। जरूरी नहीं है कि भाग्य रेखा मणिबंध से ही प्रारंभ हो, भाग्य रेखा हथेली में मौजूद चन्द्र पर्वत से भी आरंभ हो सकती है। किसी-किसी के हाथ में भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा से भी आरंभ होती है। जीवन रेखा, शुक्र पर्वत, मंगल पर्वत आदि से भी भाग्य रेखा आरंभ हो सकती है, जो रेखा हथेली में कहीं से भी निकल कर चलते हुए शनि पर्वत तक जाती है वह रेखा कहलाती है, इसलिए भाग्य रेखा कहीं से भी शुरू हो सकती है।

PunjabKesariभाग्य में क्या लिखा हुआ है, जानने के लिए भाग्य रेखा को पढऩा आना चाहिए। उदाहरणार्थ यदि हाथ में भाग्य रेखा मणिबंध से आरम्भ होकर शनि पर्वत तक जा रही हो और भाग्य रेखा को कोई अन्य रेखा क्रास न कर रही हो, भाग्य रेखा पूर्ण स्पष्ट नजर आती हो तो ऐसा जातक भाग्यशाली होता है। उसके जीवन में सफलताएं दस्तक देती रहती हैं, जिस भी कार्य में हाथ डालेगा वह कार्य संपन्न होगा, ऐसा व्यक्ति बहुत महत्वाकांक्षी होता है।

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भाग्य रेखा यदि गहरी हो तो ऐसे जातकों को पैतृक सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। 

जीवन रेखा से निकल कर भाग्य रेखा बनती है तो व्यक्ति अपनी मेहनत से धन अर्जित करता है। 

भाग्य रेखा का समाप्ति स्थल अर्थात शनि पर्वत यदि पूर्ण विकसित हो तो ऐसा जातक प्रबल भाग्यशाली होता है, जीवन में अधिक उन्नति करता है।

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जिन जातकों के हाथों में एक से अधिक भाग्य रेखा होती हैं ऐसे जातक पारिवारिक रूप से अधिक सम्पन्न होते हैं।

भाग्य रेखा चलती हुई मस्तिष्क रेखा पर आकर रुक जाए तो व्यक्ति स्वयं की गलती से जीवन में असफलताओं का शिकार होता है। 

भाग्य रेखा जगह-जगह से टूटी हुई हो तो व्यक्ति का भाग्य उसका साथ नहीं देता। ऐसा जातक कितनी भी मेहनत कर ले उसे सफलता नहीं मिल पाती। 

शनि पर्वत पर पहुंच कर यदि भाग्य रेखा के दो मुंह हो जाएं और एक मुंह गुरु पर्वत पर पहुंच जाए तो ऐसा जातक बहुत भाग्यशाली होता है। उसे मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। जीवन में उच्च पद प्राप्त करता है।

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यदि भाग्य रेखा के दो मुंह हों तो ऐसा जातक अपना लक्ष्य निर्धारित नहीं कर पाता।

भाग्य रेखा का आरंभ यदि शुक्र पर्वत से हो एवं शनि पर्वत तक बिना किसी दोष से समाप्त हो रही हो तो ऐसा जातक किसी कला के द्वारा ख्याति प्राप्त करता हुआ धनवान होता है। अगर शुक्र पर्वत उत्तम हो तो विवाह के पश्चात् जातक का पूर्ण भाग्योदय होता है।

चन्द्र पर्वत से आकर कोई रेखा भाग्य रेखा से मिले तो ऐसे जातक का झुकाव वैवाहिक जीवन पर अधिक रहता है।

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चन्द्र पर्वत से ही भाग्य रेखा का उदय हो तो ऐसा जातक किसी अन्य व्यक्ति की मदद से जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

भाग्य रेखा कमजोर हो, कटी या टूटी हुई हो किन्तु सूर्य मजबूत हो तो व्यक्ति अधिक मेहनत से सफलता और धन प्राप्त कर लेता है।

मस्तिष्क रेखा से निकल कर भाग्य रेखा शनि पर्वत तक बिना किसी रुकावट के जाती है तो ऐसा जातक निम्न परिवार में भी जन्म लेकर अपनी योग्यता और बुद्धि बल पर ऊंचाइयों तक जाता है।

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भाग्य रेखा यदि जीवन रेखा को काट दे तो जातक की बदनामी होती है।

भाग्य रेखा से कोई रेखा निकल कर मस्तिष्क रेखा पर जाती हो और हृदय रेखा टूटी हुई हो तो ऐसा जातक बनी-बनाई संपत्ति भी नष्ट कर देता है।

चन्द्र पर्वत से निकल कर कोई रेखा भाग्य रेखा के साथ-साथ चले तो ऐसे जातक का विवाह उच्च घराने में होता है। 

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दोनों हाथों में भाग्य रेखा मणिबंध से शुरू होकर शनि पर्वत तक जा रही हो और साथ में मस्तिष्क रेखा, सूर्य रेखा और जीवन रेखा भी उत्तम हो तो ऐसे जातक के हाथ में गजलक्ष्मी योग बनता है। उसके जीवन में कभी धन की कमी नहीं होगी और भाग्य उसका सदा साथ देगा, ऐसा जातक मिट्टी से सोना बनाने वाला होता है।

जिस जातक के हाथ में भाग्य रेखा अथवा जीवन रेखा में से एक ही हो तो ऐसा जातक या तो भाग्यहीन होगा या असाधारण प्रतिभा का धनी।

भाग्य रेखा से कोई रेखा निकल कर शुक्र पर्वत तक जाती हो तो किसी स्त्री की सहायता से जातक सफलता और धन प्राप्त करता है।

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जीवन रेखा से यदि भाग्य रेखा का आरम्भ हो और हथेली मुलायम हो तो ऐसे जातक धनवान होते हैं।

मस्तिष्क रेखा से भाग्य रेखा निकलती हो और शनि पर्वत पर पहुंच कर तीन मुंह वाली हो जाए और एक मुंह गुरु पर्वत तक जाए, दूसरा सूर्य पर्वत तक और तीसरा मुंह बुध पर्वत तक जाए तो ऐसा जातक अति प्रसिद्ध और धनवान होता है।

भाग्य रेखा यदि हृदय रेखा पर जाकर रुक जाए तो जातक अपने प्रेम संबंध के कारण जीवन में असफलता प्राप्त करता है।

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भाग्य रेखा यदि मस्तिष्क रेखा पर जाकर रुक जाए तो ऐसे जातक को संतान सुख में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

भाग्य रेखा से कोई रेखा निकल कर सूर्य पर्वत पर जाती है तो ऐसा जातक सुखी और संपन्न होता है।

भाग्य रेखा शनि पर्वत पर पहुंच रही हो और शनि पर्वत पर चक्र बना हुआ हो तो ऐसा जातक उच्च अधिकारी होता है, उसके पास अधिक धन सम्पत्ति होती है।

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भाग्य रेखा को कई छोटी-छोटी रेखाएं काटती हों तो ऐसे जातक को जीवन में ज्यादा निराशा मिलती है, कभी सफलता तो कभी विफलता का स्वाद मिलता रहेगा। 

भाग्य रेखा यदि हथेली के बीच में से शुरू हो रही है तो सफलता और धन प्राप्त करने के लिए काफी इतंजार करना पड़ेगा।

भाग्य रेखा के जिस बिन्दू पर कोई रेखा, भाग्य रेखा को काटे तो उस आयु में जातक को धन की हानि होती है।

PunjabKesariशनि पर्वत पर त्रिशूल हो और भाग्य रेखा मणिबंध से प्रारंभ होकर त्रिशूल का स्पर्श करे तो ऐसा जातक उच्चाधिकारी बनता है।

भाग्य रेखा और जीवन रेखा में कुछ दूरी हो तथा भाग्य रेखा शुरू में मोटी एवं बाद में पतली-सी होती हुई शनि पर्वत तक जाती हो एवं हथेली में सभी पर्वत उठे हुए हों तो ऐसा जातक जीवन में उच्च सफलता प्राप्त करता है, उसके एक से अधिक आय के साधन होते हैं।

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Niyati Bhandari

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