Guru Ravidas Jayanti 2025: संत गुरु रविदास जयंती के मौके पर पढ़ें ये दोहे, बदल जाएगी किस्मत !
punjabkesari.in Wednesday, Feb 12, 2025 - 07:27 AM (IST)
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Guru Ravidas Jayanti 2025: संत रविदास जी का जीवन और उनके दिए हुए उपदेश हमें सच्चे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। संत रविदास के कई प्रसिद्ध दोहे हैं, जिनका संदेश आज भी लोगों के जीवन में प्रासंगिक है। इन दोहों को यदि जीवन में अपनाया जाए तो तो यह किसी की भी किस्मत पल में बदल सकते हैं। संत रविदास के दोहे भारतीय समाज में गहरे प्रभाव डालते हैं। उनके द्वारा कहे गए दोहे जीवन के हर पहलू को सरल और सटीक रूप से समझाने में सक्षम हैं। इन दोहों का सार समझकर हम अपने जीवन को और अधिक सशक्त और सकारात्मक बना सकते हैं। आज 12 फरवरी संत रविदास जी की जयंती मनाई जा रही है। आज जानते हैं संत रविदास के वो खास दोहे-
ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,
पूजिए चरण चंडाल के जो होवे गुण प्रवीन।।
अर्थ- संत रविदास जी कहते हैं कि यदि कोई ब्राह्मण गुणहीन है, तो उसकी पूजा करने का कोई अर्थ नहीं है। संत रविदास जी का यह संदेश है कि किसी भी व्यक्ति की असली पहचान उसके गुणों और आचार-विचार से होती है, न कि उसकी जाति, रूप या बाहरी स्थिति से। यदि कोई व्यक्ति ऊंचे पद पर नहीं है लेकिन गुणवान है तो उसका पूजन अवश्य करना चाहिए।
मन ही पूजा मन ही धूप,
मन ही सेऊं सहज स्वरूप।।
अर्थ- संत रविदास जी कहते हैं कि पूजा केवल बाहरी क्रियाओं और आचार-व्यवहार से नहीं होती बल्कि यह पूरी तरह से हमारे मन की अवस्था और भावना पर निर्भर करती है। यह संदेश है कि बाहरी पूजा विधियों से अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हमारे दिल में ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम और श्रद्धा हो। जब हम मन से शुद्ध होते हैं और अपनी आत्मा से ईश्वर को महसूस करते हैं, तो यही असली पूजा होती है।
मन चंगा तो कठौती में गंगा
अर्थ- इसका गहरा अर्थ है कि जब व्यक्ति का मन शुद्ध और अच्छा होता है, तो वह कहीं भी हो, किसी भी परिस्थिति में हो, उसे सच्चा सुख और शांति मिलती है।
रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच,
नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच
अर्थ- संत रविदास जी कहते हैं कि जन्म के कारण कोई भी व्यक्ति नीच नहीं होता। किसी का जन्म किसी भी जाति या वर्ग में हो सकता है लेकिन इससे उसकी इंसानियत पर कोई फर्क नहीं पड़ता।