Ramakrishna Paramahamsa Story: छुआछूत और ऊंच-नीच का भेदभाव करने वाले याद रखें रामकृष्ण परमहंस की ये सीख

punjabkesari.in Friday, Jul 12, 2024 - 12:26 PM (IST)

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Ramakrishna Paramahamsa Story: एक बार रामकृष्ण परमहंस, तोतापुरी नाम के एक संत के साथ ईश्वर व आध्यात्म पर चर्चा कर रहे थे। मौसम ठंड का था और शाम ढल चुकी थी इसलिए दोनों एक जलती हुई धूनी के समीप बैठे हुए थे। उस समय बगीचे का माली भी वहां कुछ काम कर रहा था।

जब माली को भी ठंड का अहसास हुआ तो उसको भी आग जलाने की जरूरत महसूस हुई और उसने तोतापुरी जी द्वारा जलाई गई धूनी में से लकड़ी का एक जलता हुआ टुकड़ा उठा लिया।

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इस पर तोतापुरी जी माली पर जोर से चिल्लाते हुए बोले, “धूनी छूने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ? तुमको पता नहीं कि यह कितनी पवित्र है।” इसके बाद उन्होंने माली को थप्पड़ मार दिए। यह सब देखकर पास बैठे रामकृष्ण परमहंस मुस्कुराने लगे, जिसे देख कर तोतापुरी और भी ज्यादा क्रोधित हो गए।

 उन्होंने रामकृष्ण जी से कहा, “आप हंस रहे हैं। यह आदमी कभी पूजा-पाठ नहीं करता और कभी भी भगवान का भजन नहीं गाता। फिर भी इसने मेरे द्वारा जलाई गई पवित्र धूनी को अपने गंदे हाथों से छुआ इसीलिए मैंने उसे यह दंड दिया।”

यह सुनकर रामकृष्ण परमहंस ने तोतापुरी से कहा, “मुझे तो पता ही नहीं था कि कोई चीज छूने मात्र से अपवित्र हो जाती है। अभी कुछ ही क्षण पहले आप ही तो समझा रहे थे कि यह सारा संसार ब्रह्म के प्रकाश से प्रकाशमान है।

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अभी इतनी जल्दी आप अपने माली के धूनी स्पर्श कर देने मात्र से अपना सारा ज्ञान भूल गए और उसे मारने तक लगे। भला मुझे इस पर हंसी नहीं आएगी तो और क्या होगा ?”

तोतापुरी कुछ बोल पाते इससे पहले परमहंस ने गंभीरता से कहा, “इसमें आपका कोई दोष नहीं है, आप जिससे हारे हैं वो कोई मामूली शत्रु नहीं है। वह आपके अन्दर का अहंकार है, जिससे जीत पाना आसान नहीं है।” यह सुनकर तोतापुरी ने अपनी गलती समझी और मान भी ली। इसके बाद उन्होंने सौगंध खाई कि अब वह अपने अहंकार को त्याग देंगे और कभी भी छुआछूत और ऊंच- नीच का भेदभाव नहीं करेंगे।
 

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Content Editor

Prachi Sharma

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