Ramadan Special: तीसरा अशरा दिलाता है जहन्नुम से आजादी

punjabkesari.in Wednesday, May 13, 2020 - 06:30 PM (IST)

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जैसे कि आप लोग जानते हैं रमजान का महीना इस्लाम धर्म के अनुसार सबसे पाक माह माना जाता है। कहते हैं यह महीना विश्वास बरकत वाला होता है। इसमें अल्लाह की इबादत करने वाले पर अल्लाह ताला की बेशुमार रहमत बरसती है तथा सभी तरह के गुनाह माफ हो जाते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस महीने में भारत करने वाले को जहन्नुम से आजादी मिलती है तो वहीं इस महीने में जो दान करता है यानि ज़कात लगा देता है उसके सभी पाप माफ़ हो जाते हैं। अपनी वेबसाइट के माध्यम से हमने आपको रमजान के तीनों के बारे में पहले भी जानकारी दी है इसी बीच आज हम आपको बताएंगे रमजान में तीसरे आश्रय का क्या महत्व होता है।
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कहां जाता है तीसरे असली में अल्लाह अपने बंदों को जहन्नुम से निजात दिलाते हैं। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान की आखिरी अशरे में मस्जिदों के अंदर एतकाफ़ में बैठकर इबादत करने का आला दर्जे का सवाब  है।
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धार्मिक के अनुसार अल्लाह ताला फरमाते हैं कि एतकाफ़ में बैठने वाले मोमिन बंदे के तमाम गुनाह बख्श दिए जाएंगे। हदीस शरीफ में है कि जिस बस्ती की मस्जिद में कोई एतकाफ़ में बैठकर अल्लाह ताला की इबादत करेगा उसके साथ-साथ उस बस्ती के लोगों के गुनाहों को भी माफ कर दिया जाएगा। यानि पूरी बस्ती में अल्लाह ताला की रहमत बरसती है। जिन लोगों को एतकाफ का इसका मतलब नहीं पता है, बता दे रमजान में 20 में उसे के मरीज से शुरू होकर चांद रात तक मस्जिद में रहकर अल्लाह की इबादत करने को एतकाफ कहा जाता है। हदीस में वर्णन मिलता है जिस व्यक्ति ने 10 दिनों तक एतकाफ किया उसने दो हज और दो उमरे के बराबर सवाब हासिल किया है।


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Jyoti

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