Ram Navami 2021- ये है श्री राम के चक्रवर्ती सम्राट बनने के पीछे का सच !

punjabkesari.in Wednesday, Apr 21, 2021 - 10:36 AM (IST)

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Ram Navami 2021- दशरथ नंदन भगवान श्री राम का जन्म चैत्र माह की शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को पुनर्वसू नक्षत्र और कर्क लग्न में हुआ। लग्न में प्रबल र्कीत देने वाला गुरु चंद्र का गज केसरी योग और पांच ग्रह अपनी उच्च राशियों में विराजमान थे। इस प्रबल योग के कारण श्री राम ने अखंड भारत पर 11000 वर्षों तक एक छत्र राज्य किया। 

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ज्योतिष में वैसे तो कई योग होते हैं परंतु पंचमहापुरुष योग अत्यंत प्रबल एवं महत्वपूर्ण होता है। भगवान श्री रामचंद्र जी की कुंडली में पंच महापुरुष का रुचक योग, हंस योग, शश योग प्रमुख रूप से विराजमान थे। इस योग के कारण जातक अत्यंत मनमोहक, कोमल एवं कांतियुक्त आकृति का होता है। ऐसे जातक अत्यधिक र्कीतवान, बलवान, शीलवान, धनवान, शूरवीर, अजेय एवं साहसी, मंत्र विद्या एवं अन्य विद्या में पारंगत तथा गुरुजनों के प्रति आदर एवं विनम्र होते हैं। 

कर्क लग्न में उच्च का बृहस्पति होने के कारण हंस योग का निर्माण होता है। ऐसा जातक शस्त्र विद्या में पारंगत, आदरणीय, प्रतिभाशाली, अत्यंत सुंदर पत्नी वाला आचारवान होता है।

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राजभंग योग : भगवान श्री रामचंद्र जी की जन्मपत्री में चंद्रमा के शत्रु शनि की अष्टमेश होकर लग्नस्थ चंद्रमा पर अपनी विच्छेदात्मक कुदृष्टि के कारण राजभंग योग बना। जिस समय भगवान श्री रामचंद्र का राजतिलक होने जा रहा था, उस समय बुद्ध की महादशा चल रही थी। इस कारण राजगद्दी पर बैठने की बजाय उनको वनवास हुआ।

अयोध्या लौटने पर केतु महादशा में उनका राजतिलक हुआ और भाग्य भाव में उच्चस्थ शुक्र के कारण (जो गुरु द्वारा दृष्ट है) ही उन्हें जगदम्बा सीता जैसी आदर्श और पतिव्रता पत्नी मिली किन्तु सप्तम भाव में मंगल के विराजमान होने के कारण और शुक्र पर राहू की दृष्टि दाम्पत्य सुख का हरण (सीताहरण) करने वाली साबित हुई इसलिए उन्हें पत्नी वियोग सहना पड़ा था।

शत्रु स्थान में गुरु की राशि होने के कारण रावण उनका बैरी बना। जन्मपत्री के लग्न में गुरु-चंद्र योग के कारण तथा पराक्रम स्थान (तृतीय स्थान) पर विराजमान बलवान राहू के कारण श्री राम ने रावण की सेना का नाश करके धर्म की रक्षा की और सुयश प्राप्त किया।

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Ram Navami upay रामनवमी पर अचूक उपाय : रामनवमी के दिन अभिमंत्रित एकाक्षी श्रीफल, लघु श्रीफल, पांच गोमती चक्र, इंद्रजाल एवं पांच गुलाब जामुन मंत्र उच्चारण करते हुए किसी बहते हुए जल या नदी में प्रवाहित करने से दुख, दरिद्रता एवं दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है तथा परेशानियों के बादल छंटने लगते हैं।

श्री वृद्धि के लिए 
अभिमंत्रित एकाक्षी श्रीफल, ग्यारह रक्त गुंजा, गोमती चक्र, छुहारे को रामनवमी के दिन प्रात: कामिया सिंदूर, अक्षत एवं लाल पुष्प से पूजन करें। किसी चमकीले लाल वस्त्र में लपेट कर रखने से श्रीवृद्धि होती है। इसे व्यापार-स्थल में रखना भी अति शुद्ध माना जाता है।

शत्रु, बीमारी एवं कष्टों से मुक्ति 
रामनवमी के दिन एकाक्षी श्रीफल पर कामिया सिंदूर, मौली, अक्षत, पांच मिठाई, गुलाब के फूल अर्पित कर पूजन करें। फिर हनुमान चालीसा पढ़ कर श्री रामचंद्र जी का ध्यान करके यह सारी सामग्री किसी भी सिद्ध हनुमान मंदिर में चढ़ा दें। साधुओं को भोजन एवं बंदरों को केले-चने खिलाएं।   

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Content Writer

Niyati Bhandari

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