Ram Mandir में क्यों लहराया सूर्य ओम कोविदार वाला ध्वज ? जानिए इसकी पूरी Story
punjabkesari.in Thursday, Nov 27, 2025 - 03:02 PM (IST)
Ram Mandir Dhwajarohan story: सदियों की प्रतीक्षा पूरी हुई और फिर से अयोध्या में वही दिव्यता खिल उठी है, जो त्रेतायुग में थी। धर्म ध्वजा लहरा रही है और संदेश दे रही है कि जहां भक्ति है, वहां राम हैं। जहां राम हैं, वहां विजय है। धन्य है हम जिन्होंने रामलला को टेंट से निकलकर सिंहासन पर बैठे देखा है। धन्य है वो अद्भुत ध्वजा जिसने 500 साल का घाव हमेशा के लिए भर दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राम मंदिर में ध्वजारोहण क्यों किया गया और क्या आप जानते हैं कि जो ध्वजा लहराई गई उस पर सूर्य देव, ओम और कोविदार के वृक्ष का चिन्ह क्यों है ? तो आइए जानते हैं इसके पीछे छुपे गहरे रहस्य के बारे में-

दरअसल सनातन धर्म में ध्वजा को मंदिर की पूर्णता का प्रमाणपत्र माना जाता है। जब तक ध्वजा नहीं फहराई जाती मंदिर को पूरा नहीं माना जाता। हिंदू शास्त्रों में ध्वजा को भगवान के केश यानी बाल कहा गया है। जैसे इंसान का शरीर तब तक पूरा नहीं होता जब तक बाल न हो वैसे मंदिर भी बिना ध्वजा के अधूरा माना जाता है। 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा के समय गर्भगृह तैयार हुआ था। लेकिन शिखर परिक्रमा और कई मंदिरों का काम चल रहा था। इसलिए ध्वजा उस दिन नहीं लगी थी। बीते दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा फहरा दी। इस तरह भव्य राम मंदिर के निर्माण की पूर्णता की औपचारिक घोषणा भी हो गई। इस धर्म ध्वजा की सबसे बड़ी विशेषता इस पर बने प्रतीक हैं। ये हैं कोविदार वृक्ष, सूर्य और ओम चिन्ह।

ध्वजा पर सूर्य ओम और कोविदार वृक्ष क्यों चुना गया ?
ध्वजा पर जो सुंदर सूर्य बना है वो सूर्य भगवान राम के सूर्य वंश का चिन्ह है। क्योंकि श्री राम सूर्यवंशी हैं। उनका कुल चिन्ह सूर्य है। ध्वजा पर ओम इसलिए है क्योंकि सृष्टि की पहली ध्वनि ओम है। सनातन धर्म में ये सबसे पवित्र मंत्र माना जाता है। कोविदार वृक्ष की बात करे तो इसकी कहानी बड़ी ही रोचक है। वाल्मीकि रामायण में अगर आप अयोध्या कांड पढ़ेंगे और हरिवंश पुराण तो उसमें लिखा है कि प्राचीन काल में कोविदार वृक्ष अयोध्या का राजकीय वृक्ष था। जब भरत चित्रकूट आए थे तो राम को वापस लाने उनके रथ पर जो ध्वज था वो केसरिया था और उसी पर कोविदार का वृक्ष बना था। लक्ष्मण जी ने जब दूर से उसे देखा तो कहा प्रभु अयोध्या की सेना आई है। मतलब सदियों पहले अयोध्या का राष्ट्रीय चिन्ह यही पेड़ था। जैसे आज भारत का बरगद अब उसी प्राचीन गौरव को फिर से जीवित किया गया है।
ध्वजा पर सूर्य के ठीक मध्य में सोने के अक्षर में ओम लिखा है। नीचे प्राचीन कोवेदार वृक्ष का चित्र है। यह तीन परतों वाला बेहद मजबूत कपड़ा है। किनारियों पर सोने की झालर, ऊपर सिल्क का काम और सारे चिन्ह हाथ की बारीक कढ़ाई से बने हैं। अहमदाबाद के प्रसिद्ध कारीगर कश्यप मेवाड़ा और उनकी टीम ने 25 दिन की मेहनत से तैयार किया है। यह ध्वजा 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा है। रामलला की भव्य ध्वजा अब केवल एक प्रतीक नहीं यह भारत की आत्मा, आस्था और अद्भुत पुनर्जागरण का ध्वज है।

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