वास्तु के अनुसार शयन के 21 टिप्स, सोने की सही दिशा अपनाएं
punjabkesari.in Wednesday, Apr 16, 2025 - 06:55 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। राजीव आचार्य के अनुसार यदि घर में शयन कक्ष की दिशा वास्तु के विपरीत है तो इससे न केवल भौतिक विकास बल्कि आध्यात्मिक विकास में भी बाधा उत्पन्न होती है। घर में निवास करने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य , आर्थिक प्रगति , उन्नति , व्यापार , आपसी रिश्ते, प्रेम संबंध, कार्यों में अनावश्यक बाधा भी शयन कक्ष की दिशा पर निर्भर करता है । राजीव आचार्य के अनुसार शयन कक्ष का चयन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए -
1- शयन कक्ष उत्तर पूर्व दिशा में यथासंभव नहीं होना चाहिए । इस दिशा पर गुरु ग्रह का स्वामित्व है । इस दिशा को यथासंभव खाली रखना चाहिए। इस दिशा में पूजन गृह होना सर्वोत्तम होता है ।
2- घर के स्वामी का शयन कक्ष साउथ वेस्ट दिशा अर्थात नैरितय कोण में होना चाहिए। साउथ वेस्ट दिशा में बने शयन कक्ष में सोने से ऊर्जा का विकास , स्थायित्व , सुख समृद्धि , और स्वास्थ्य लाभ होता है। इस दिशा में बने कमरे में सोने से व्यक्ति दीर्घायु , आर्थिक संपन्नता , व्यापार और नौकरी में उन्नति के योग बनते हैं । यह दिशा घर के मुख्य स्वामी के शयन के लिए सर्वोत्तम दिशा है।
3- घर में संतान का रूम नॉर्थ वेस्ट , अर्थात वायव्य कोण में होना चाहिए । परंतु यदि कोई संतान किसी कारण से डिप्रेशन में है तो उसे तुरंत इस दिशा से हटा दिया जाना चाहिए। इस दिशा में सोने वाली संतान यदि विधार्थी है तो उसे पूर्व दिशा की ओर मुख कर अध्ययन करना चाहिए।
4- पति पत्नी को विशेषकर नवदंपत्ति को घर के आग्नेय कोण अर्थात साउथ ईस्ट के कमरे सोने से बचना चाहिए। इस स्थान के स्वामी अग्निदेव और मंगल ग्रह है । यहां सोने से उनके बीच आपस में दूरियां बढ़ सकती है , आपसी कलह होगी । अविवाहित पुत्र, पुत्रियां और मेहमान इस कमरे में सो सकते हैं। परंतु यदि पुत्री के विवाह की तैयारी हो रही है तो उसे इस कमरे में नही सोना चाहिए ।
5- शयन कक्ष भवन के मध्य स्थान में नही होना चाहिए । यह स्थान वास्तु के अनुसार ब्रह्म स्थान है । यह स्थान यथासंभव खाली होना चाहिए। इस दिशा में यदि कोई कमरा बन भी गया हो तो उसे घर में निवास करने वाले प्रयोग न करें तो उचित है। इस स्थान पर सोने से नेगेटिव एनर्जी बढ़ती है साथ ही आर्थिक रूप से भी हानि होती है । इस स्थान को लाबी या मेहमानों के लिए सीमित अवधि के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
6 - शयन कक्ष में बिस्तर के सामने आईना नही रखना चाहिए । बिस्तर पर बैठकर या सोने की मुद्रा में आईने में अपनी परछाई देखने से अशुभ स्वप्न आते है , स्वास्थ्य में कठिनाई , विशेषकर अवसाद की समस्या उत्पन्न हो सकती है ।
7 - शयन कक्ष में धार्मिक तस्वीरें तथा पूर्वजों की तस्वीर नही लगानी चाहिए। शयन कक्ष में धूप जलाना पॉजिटिव एनर्जी को आकर्षित करता है।
8 - शयन कक्ष में दरवाजे के ठीक सामने पलंग नही होना चाहिए। इससे वहां सोने वाले व्यक्ति व्याकुल , अशांत रहेंगे तथा उन्हें नींद में अशुभ सपने आयेगे । यदि उसी कमरे में तिजोरी भी है तो दरवाजे के सामने पलंग धन समृद्धि को रोकता है ।
9 - शयन कक्ष में बीम नही रखनी चाहिए ।यदि किसी कारण वश शयन कक्ष में बीम है तो पलंग इसके नीचे नहीं होना चाहिए ।
10 - शयन कक्ष में तिजोरी साउथ दिशा में होनी चाहिए तथा उसका मुख उत्तर दिशा की ओर खुलना चाहिए। यह स्थान धन के देवता कुबेर का है ।इस दिशा में तिजोरी रखने से धनलाभ होता है।
11 - ताजे और बिना कांटो के फूल शयन कक्ष में रखने चाहिए , इससे पॉजिटिव एनर्जी आती है । बासी और पुराने फूलों को हटा देना चाहिए ।
12- वास्तु के अनुसार पौधे नेगेटिव एनर्जी को दूर करते है और पॉजिटिव एनर्जी को बढ़ाते हैं । शयन कक्ष में बांस का पौधा , मनी प्लांट , आरिका पाम , स्नेक प्लांट , लेवेंडर प्लांट को रखने से मन की शांति और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है । घर में विशेषकर शयन कक्ष में कांटे वाले पौधे नही रखने चाहिए। ऐसे पौधे आपसी रिश्तों में कड़वाहट लाते हैं ।
13 - ऐसी महिलाएं जिन्होंने गर्भ धारण किया है , अथवा उसके लिए प्रयास कर रही है तो उन्हे उत्तर पूर्व दिशा अर्थात आग्नेय कोण में सोने से बचना चाहिए।
14 - पलंग पर पत्नी को पति के बाएं दिशा में सोना चाहिए।
15- शयन कक्ष में हल्के रंगो का प्रयोग करना चाहिए। जिससे मन में शांति रहती है और सकारात्मकता भी आती है।
16 - शयन कक्ष में पति पत्नी को नाइट बल्ब के लिए लाल रंग के बल्ब का प्रयोग नही करना चाहिए , यह रंग मंगल को प्रतिनिधित्व करता है । उन्हे नीले या श्वेत रंग की लाइट का प्रयोग करना चाहिए। यदि कमरे में विद्यार्थी है तो उन्हे पीले रंग की लाइट का प्रयोग करना चाहिए जो कि गुरु ग्रह से सम्बन्धित है ।
17-यदि घर में स्थान की कमी है तो उत्तर पूर्व दिशा विधार्थी को सोना चाहिए
वास्तु के अनुसार शयन की दिशा
ज्योतिषाचार्य एवम वास्तुशास्त्री राजीव आचार्य कहते हैं कि सोने की दिशा भी उतनी ही ज्यादा महत्वपूर्ण है जितनी कि शयन कक्ष की दिशा और स्थान।
उनके अनुसार यदि शयन कक्ष सही दिशा में है परंतु सोने की दिशा वास्तु सम्मत नही है तो अनेकों प्रकार की विपत्तियों का सामना करना पड़ सकता है । अनिद्रा , स्वास्थ्य लगातार खराब रहना , बनते हुए कार्य बिगड़ जाना , मानसिक रूप से अशांत रहना आदि गलत दिशा में सोने के परिणाम हो सकते हैं। राजीव आचार्य के अनुसार शयन के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए -
18- वास्तु के अनुसार सोने की सबसे उत्तम दिशा साउथ दिशा है ।साउथ दिशा में सिर रखकर पैर उत्तर दिशा की ओर करके सोने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है , अच्छी नींद और मन में शांति रहती है । उत्तर दिशा में धन के देवता कुबेर का स्थान माना जाता है ।सुबह उठते समय व्यक्ति का मुख उत्तर दिशा में रहने से सुख समृद्धि, धन धान्य की कमी नहीं रहती । घर के स्वामी , नवदम्पत्ति के लिए , तथा संतान सुख के लिए यह दिशा वास्तु के अनुसार सर्वोत्तम मानी गई है ।
19- सोने की दूसरी उत्तम दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर है । पूर्व दिशा में सूर्य का आधिपत्य है । यह दिशा भी वास्तु के अनुसार5 उचित है । इस दिशा में सोने से स्मरण शक्ति, चित्त में एकाग्रता , सात्विकता रहती है साथ ही स्वास्थ्य भी अनुकूल रहता है । विधार्थियो , प्रोफेसर , रिसर्चर, अविवाहित संतानों के लिए यह दिशा उत्तम है ।
20- पश्चिम दिशा में सिर रखकर पूर्व दिशा में पैर रखकर सोना वास्तु के अनुसार उचित नहीं माना जाता है।
इस दिशा में सोने से आर्थिक उन्नति रुकती है और मानसिक तनाव रहता है । इस दिशा में पति पत्नी के सोने से उनके आपसी रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है। पश्चिम दिशा का स्वामी शनि को माना जाता है ।इस दिशा में सोने से कार्यों में असफलता , पैरो में समस्या विशेषकर घुटनों की समस्या , मन में अशांति होने की संभावना रहती है। यह दिशा सोने के लिए वास्तुसम्मत नही है ।
21- उत्तर दिशा में सिर रखकर पैर साउथ दिशा में रखना सोने की सबसे अनुचित दिशा मानी जाती है। इस दिशा में सोने से नेगेटिव एनर्जी आती है , स्वास्थ्य में कठिनाई , मानसिक तनाव जैसे अवसाद जैसी बीमारियां हो सकती हैं। साउथ दिशा में मृत्यु के देवता यम का स्थान माना जाता है । हिंदू धर्म में मृतक को साउथ दिशा में पैर कर रखा जाता है । नवदम्पत्ति के इस दिशा में सोने से संतान सुख में कमी , गर्भपात , जैसी समस्याएं हो सकती है। यह दिशा वास्तु सम्मत नही मानी गई है।