राधा कुंड से जुड़ी ये धार्मिक कथा जानते हैं आप?

punjabkesari.in Friday, Oct 29, 2021 - 02:16 PM (IST)

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कार्तिक मास में सनातन धर्म के विभिन्न पर्व व त्यौहार पड़ते हैं। इस वर्ष के कार्तिक मास की बात करें तो दो प्रमुख पर्व या व्रत बीत चुके हैं। हाल ही में बीता है करवाचौथ तथा कार्तिक मास की अष्टमी को मनाया गया अहोई अष्टमी का व्रत। मान्यताओं के अनुसार अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में वैवाहिक दंपत्ति द्वारा स्नान करने की पंरपरा है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान राधा कुंड में स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि न केवल देश में से बल्कि विदेशों से भी लोग इस कुंड में स्नान करने आते हैं। परंतु ऐसा करने के पीछे क्या पौराणिक व धार्मिक कारण है, इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। तो अगर आप भी जानना चाहते हैं इससे जुड़ी कथा तो नीचे दी गई जानकारी को ध्यान से पढ़िए- 

पौराणिक कथाओ के अनुसार मथुरा नगरी से लगभग 26 कि.मी की दूर पर गोवर्धन परिक्रमा में राधा कुंड नामक एक स्थान स्थित है जो गोवर्धन पूजा के दौरान होने वाली परिक्रमा का प्रमुख पड़ाव माना जाता है। मान्यता के अनुसार बचपन में अपने मित्रों के साथ भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन में गौचारण करते थे। एक बार इस दौरान अरिष्टासुर ने गाय के बछड़े का रूप धरके भगवान श्रीकृष्ण पर हमला करना चाहा, परंतु श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया। बताया जाता है कि राधा कुंड क्षेत्र श्रीकृष्ण से पूर्व राक्षस अरिष्टासुर की नगरी अरीध वन थी। अरिष्टासुर से ब्रजवासी खासे तंग आ चुके थे। जिस के चलते श्रीकृष्ण ने उसका वध किया दिया था।

कथाओं के मुताबिक जब श्री कृष्ण ने राधा रानी को उसके वध की बात बताई तो राधा जी ने उन्हें कहा क्योंकि आपने असुर का वध गौवंश के रूप में किया है, इसलिए आप पर गौवंश हत्या का दोषव पाप लगेगा। राधा जी से इतना सुनते ही श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड खोदा और उसमें स्नान किया। इस पर राधा रानी ने भी बगल में अपने कंगन से एक दूसरा कुंड खोदा और उसमें स्नान किया। धार्मिक शास्त्रों में किए वर्णन के अनुसार श्रीकृष्ण द्वारा खोदे गए कुंड को श्‍याम कुंड और राधा जी द्वारा कुंड को राधा कुंड के नाम  से जाना जाता है। 


ब्रह्म पुराण व गर्ग संहिता के गिर्राज खंड के अनुसार महारास के बाद श्रीकृष्ण ने राधा जी की इच्‍छानुसार उन्हें ये वरदान दिया था कि जो भी दंपत्ति राधा कुंड में स्नान करेगी उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। धार्मिक मान्यताएं हैं कि श्रीकृष्‍ण और राधा रानी ने स्नान करने के बाद यहां महारास रचाया था। इसके अतिरिक्त ये भी माना जाता है कि आज भी कार्तिक मास के पुष्य नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण रात्रि बारह बजे तक राधाजी के साथ राधाकुंड में अष्ट सखियों संग महारास करते हैं। अतः इन्ही सभी मान्यताओं के चलते इस कुंड को अधिक महत्व प्राप्त है। 
 


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Content Writer

Jyoti

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