Prayagraj Magh Mela : 30 दिसंबर से प्रयागराज बनेगा आध्यात्मिक पावरहाउस, 25 लाख कल्पवासी होंगे शामिल
punjabkesari.in Friday, Dec 26, 2025 - 09:49 AM (IST)
Prayagraj Magh Mela 2026 : उत्तर प्रदेश की पवित्र नगरी प्रयागराज एक बार फिर विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम की मेजबानी के लिए तैयार है। आगामी 30 दिसंबर से त्रिवेणी संगम की रेती पर तंबुओं का शहर जीवंत हो उठेगा। इस वर्ष का माघ मेला विशेष होने जा रहा है क्योंकि इसे मिनी कुंभ के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें करीब 25 लाख कल्पवासियों के जुटने का अनुमान है।
भक्ति और संयम का कठिन संकल्प: कल्पवास
माघ मेले का मुख्य आकर्षण 'कल्पवास' है। माना जा रहा है कि इस बार 25 लाख से अधिक श्रद्धालु संगम तट पर झोपड़ियों में रहकर एक महीने का कठिन व्रत शुरू करेंगे। कल्पवासी इन 30 दिनों तक सात्विक जीवन जीते हैं, दिन में तीन बार गंगा स्नान करते हैं, खुद भोजन बनाते हैं और निरंतर प्रभु की भक्ति में लीन रहते हैं। यह परंपरा मन और आत्मा की शुद्धि का सबसे बड़ा माध्यम मानी जाती है।
आस्था का केंद्र बनेगा त्रिवेणी तट
30 दिसंबर से ही संगम की लहरों के बीच मंत्रों की गूंज और शंखनाद सुनाई देने लगेगा। प्रयागराज इस दौरान एक आध्यात्मिक पावरहाउस में बदल जाता है, जहां देश-दुनिया से आए संतों के प्रवचन और भजन-कीर्तन से पूरा वातावरण दिव्य हो जाता है। कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास उन्हें पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए प्रेरित करता है।
तंबुओं के शहर में हाई-टेक इंतजाम
उत्तर प्रदेश सरकार और मेला प्रशासन ने इस विशाल भीड़ को संभालने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। कल्पवासियों के लिए बिजली, स्वच्छ पानी, अस्पताल और सुगम रास्तों की व्यवस्था की गई है। पूरे मेला क्षेत्र को सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन से मॉनिटर किया जा रहा है। एटीएस और जल पुलिस की टीमें तैनात रहेंगी। भारी भीड़ को देखते हुए संगम के साथ-साथ अन्य सहायक घाटों को भी चौड़ा और सुरक्षित बनाया गया है।
मोक्ष की कामना और पर्यटन का संगम
माघ मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का जीवंत उदाहरण भी है। विदेशी पर्यटकों के लिए भी यह तंबुओं का शहर कौतूहल का विषय रहता है। 25 लाख कल्पवासियों के अलावा, स्नान पर्वों पर करोड़ों अन्य श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जो प्रयागराज की अर्थव्यवस्था और पर्यटन को एक नई ऊंचाई देंगे।
30 दिसंबर का महत्व
30 दिसंबर से श्रद्धालुओं का आगमन और शिविरों का बसना शुरू हो जाएगा। इसी दिन से भक्त अपनी साधना की नींव रखेंगे। मान्यता है कि माघ के महीने में संगम पर निवास करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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