Pradosh Vrat 2025 November: आज है मार्गशीर्ष माह का पहला सोम प्रदोष, व्रत के बराबर पुण्य देगा ये काम
punjabkesari.in Monday, Nov 17, 2025 - 07:17 AM (IST)
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Pradosh Vrat 2025 November: प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि की संध्या बेला में किया जाता है, जिसे प्रदोष काल कहा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा से करने पर मनुष्य के सभी कष्ट, ग्रहदोष, भय और बाधाएं दूर होती हैं तथा जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
इस वर्ष आज यानि 17 नवंबर 2025 सोमवार को प्रदोष व्रत पड़ रहा है। जब प्रदोष व्रत सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष कहा जाता है और इसका पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है। यह व्रत स्वास्थ्य लाभ, मानसिक शांति और विशेष रूप से चंद्र दोष निवारण में प्रभावी माना जाता है।

Benefits of Som Pradosh Vrat सोम प्रदोष व्रत के लाभ
जीवन से नकारात्मकता और कष्टों का नाश।
मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति।
दांपत्य जीवन में सामंजस्य।
ग्रह दोष विशेषकर चंद्र दोष का निवारण।
धन, सौभाग्य और पारिवारिक सुख की वृद्धि।

सोम प्रदोष व्रत 2025 पूजा विधि
सोम प्रदोष के दिन शाम में स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। घर या मंदिर में शिवलिंग पर जल, दूध, पंचामृत और गंगाजल चढ़ाएं। भगवान शिव को बिल्व पत्र, सफेद फूल, दही, चीनी और घी अर्पित करें। प्रदोष काल में दीपक जलाएं और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें।
पूजन के अंत में प्रथम पूज्य गणेश जी, भगवान शिव व माता पार्वती की आरती करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि शिव आरती करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। जो जातक व्रत नहीं कर सकते, वो बस प्रदोष के समय में यदि शिव परिवार की आरती श्रद्धा भाव से कर लें तो उन्हें व्रत के बराबर पुण्य लाभ होता है, ऐसा विद्वानों का मानना है।
Som Pradosh Vrat Aarti 2025 सोम प्रदोष व्रत विशेष आरती

Ganesh Ji Ki Aarti श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
हार चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुओं का भोग लगे, संत करें सेवा।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
दूसर दोष हटावत, संकट दूर करे।
सुख-सम्पत्ति घर आवे, मन का भय टरे।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

Aarti of Lord Shiva शिव जी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगिनी दृढ़तारा।।
ॐ जय शिव ओंकारा…।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजै।
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजै।।
ॐ जय शिव ओंकारा…।।
दो भुज चार चतुर्भुज दशभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखता, जन मन सुख मोहे।।
ॐ जय शिव ओंकारा…।।
अक्ष माला वनमाला बागम्बर राजै।
नाग लिपटे तन वर, गंगाधर साजै।।
ॐ जय शिव ओंकारा…।।
कर त्रिशूल धरे स्वामी, डमरू बजावै।
गौरि संग रमण करत, नटनारायण भावै।।
ॐ जय शिव ओंकारा…।।
भस्म लेपित अति सुंदर, मन मोहक छवि।
हृदय बसो शिव शंकर, हर लो जन की तृष्णा।।
ॐ जय शिव ओंकारा…।।
नंदि गणेश सहित शिव, पार्वती बैठी।
सब पर कृपा कर देना, मन की इच्छा साची।।
ॐ जय शिव ओंकारा…।।
आरती करते नाथ हमारी।
पूरे कर दो मन की वारी।।
ॐ जय शिव ओंकारा…।।

Aarti of Goddess Parvati माता पार्वती की आरती
जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको नित ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
जय अंबे गौरी…।।
चंद्रकला शोभित, टीका मस्तक राजै।
रोम-रोम ज्योति जगै, चरणों में लाजै।।
जय अंबे गौरी…।।
कनक समान तनु, गौरि अलौकिक छबि।
भक्तन के संकट हरै, तारे महाशक्ति।।
जय अंबे गौरी…।।
सिंह वाहन राजत, वरदमुद्रा धारी।
सोहे शंभू-मुख मंडल, त्रिभुवन उजियारी।।
जय अंबे गौरी…।।
दीनন की तुम मात, तुम ही हो भवानी।
कृपा करो जगदंबे, सुनो मेरी वानी।।
जय अंबे गौरी…।।
भोग लगाओ मात, आरती उतारूं।
सुख-सम्पत्ति वरदो, मनवांछित चारूँ।।
जय अंबे गौरी…।।

