भूमि पूजन से पहले Pm Modi ने लगाया ये अद्भुत पौधा, क्या है इसकी विशेषता?

punjabkesari.in Wednesday, Aug 05, 2020 - 03:31 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक था त्रेतायुग में 14 साल का वनवास, जिसका पालन श्री राम ने अपने पिता की आज्ञा के चलते किया था। तो वहीं दूसरा वनवास श्री राम ने कलियुग में भी काटा, जिसका आखिरकार 500 सालों के लंबे इंतज़ार के बाद खत्म हो गया है। जी हां, करीबन 500 साल से श्री राम अपनी जन्मभूमि से दूर थे। मगर आज मंदिर के शिलान्यास के साथ ही अब ये वनवास खत्म हो गया है। बता दें आज यानि 05 अगस्त को शुभ मुहूर्त के अंतर्गत पूरे विधि-वत तरीके से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्वारा अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर हेतु भूमि पूजन संपन्न किया गया। 
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इस भूमि पूजन का अपना अलग ही महत्व बताया जा रहा है। इसे बहुत सी मान्यताओं के साथ जोड़ा जा रहा है। तो वहीं इस दौरान Pm Modi द्वारा की गई हर गतिविधि पर ध्यान रखा गया। उनके हनुमान गढ़ी में पहुंचने से लेकर भूमि पूजन के संकल्प तक तथा उनके द्वारा संबोधन करने पर भी मीडिया की नज़र रखी गई। 

आइए जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें- 
भूमि पूजन से लगाया पारिजात का पौधा
बता दें हनुमान गढ़ी तथा रामलला विराजमान परिसर में दर्शन करने के बाद Pm Modi ने सबसे पहले राम जन्मभूमि पर पारिजात, जिसे हरसिंगार के पौधे के नाम से भी जाना जाता है, लगाया। बहुत से लोग होंगे जिनके दिमाग में ये बात ज़रूर आई होगी कि उन्होंने पूजन से पहले यहां पारिजात का पौधा ही क्यों लगाया। तो आपके इस सवाल का जवाब देते हुए बता दें हिंदू धर्म में इसका अधिक महत्व है। इसका पौराणिक और आयुर्वेदित दोनों ही महत्व है। दरअसल, शास्त्रों के अनुसार पारिजात के पौधे को काफी पवित्र माना जाता है। 

पारिजात का महत्व
कहा जाता है कि भगवान की पूजा में पारिजात के फूलों का काफी उपयोग होता है। कहा जाता है इससे भगवान श्री हरि का श्रृंगार किया जाता है, यही कारण है कि इन  फूलों को हरसिंगार के नाम से जाना जाता है। बता दें यह बेहद ही मोहक खुशबू वाले फूल देते हैं तथा इनका आयुर्वेदिक उपयोग भी है। 
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पारिजात का फूल रात में खिलता है और सुबह तक झड़ जाता है, जिस कारण कुछ मान्यताओं के अनुसार इसे रातरानी के नाम से जाता है। इसके फूलों की खुशबू इतनी राहत देने वाली मानी जाती है तथा वास्तु की दृष्टि से भी अच्छा माना जाता है। कहते हैं इससे जीवन में भी फैली नाकारत्मकता दूर होती है। 

धार्मिक मान्यताएं
पारिजात को लेकर समुद्र मंथन से जुड़ी कथा भी प्रचलित है। इसके अनुसार यह पावन पौधा मंथन से उत्पन्ना हुआ था, जिसे द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण अपनी पत्नी देवी सत्यभामा के लिए इसे स्वर्ग से धरती पर लाए थे। कहा जाता है कि देवताओं के राजा इंद्र के इंद्रलोक की अप्सरा उर्वशी की एक पेड़ को छूने भर से थकान मिट जाती थी और वो पेड़ यही पारिजात का था। 
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देवी लक्ष्मी को भी पारिजात के फूल बेहद प्रिय हैं। एक अन्य मान्यता यह भी है कि भगवान श्री राम के वनवास के 14 सालों में माता सीता ने इसके फूलों से ही श्रृंगार किया था।


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Jyoti

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