Shradh 2025: इस तरह हुआ श्राद्ध प्रथा का आरंभ, पढ़ें कथा

punjabkesari.in Saturday, Aug 23, 2025 - 02:25 PM (IST)

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Pitru Paksha 2025: जन्म लेने के उपरांत प्राणी पर तीन प्रकार का ऋण होता है। पहला देव ऋण, दूसरा ऋषि ऋण और तीसरा पितृ ऋण। पितृ पक्ष के इन 16 दिनों में श्राद्ध प्रक्रिया में उपस्थित होकर तीनों ऋणों से मुक्त हो सकते हैं। किंवदंती है कि चंद्रमा की ऊर्ध्व कक्षा में पितृ लोक स्थित है जहां हमारे पितृ निवास करते हैं जिन्हें हम आंखों से नहीं देख सकते। जीवात्मा जब इस स्थूल शरीर से पृथक होता है उस स्थिति को हम मृत्यु कहते हैं। 

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 Shradh 2025 september: हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक वर्ष तक प्राय: सूक्ष्म जीव को शरीर नहीं मिलता। मोहवश वह सूक्ष्म जीव अपने परिवार जनों एवं घर के आसपास घूमता रहता है। श्राद्ध कर्म करने से उस सूक्ष्म जीव को तृप्ति मिलती है। इस अनुष्ठान में जब हम श्रद्धा से ब्राह्मण को भोज्य पदार्थ खिलाते हैं तो पितृ तृप्त होते हैं। 

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Shradh 2025 Significance and Importance: महाभारत में प्रसंग आता है कि मृत्यु के उपरांत दानवीर कर्ण को चित्रगुप्त ने मोक्ष देने से इंकार कर दिया था। तब कर्ण ने चित्रगुप्त से पूछा कि मैंने अपनी सारी सम्पदा सदैव दान पुण्य में ही समर्पित की है तो फिर मुझ पर यह कैसा ऋण शेष रह गया है, तब चित्रगुप्त ने बताया, राजन आपने देव ऋण और ऋषि ऋण तो चुकता कर दिया परंतु आप पर पितृ ऋण शेष है। आपने अपने काल में सम्पदा एवं सोने का दान किया है। अन्न का दान नहीं किया। जब तक आप यह ऋण नहीं उतारते आपको मोक्ष मिलना संभव नहीं। इसके उपरांत धर्मराज ने दानवीर कर्ण को व्यवस्था दी कि आप 16 दिन के लिए पृथ्वी पर जाकर अपने ज्ञात एवं अज्ञात पितरों को प्रसन्न करने के लिए विधिवत श्राद्ध-तर्पण तथा पिंड दान करके आइए तभी आपको मोक्ष की प्राप्ति होगी। दानवीर कर्ण ने वैसा ही किया तभी उन्हें मोक्ष मिला। किंवदंती है कि तभी से श्राद्ध की प्रथा आरंभ हुई। 

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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