Paush Month Festivals 2025: त्योहारों से भरपूर रहेगा पौष का महीना, यहां देखें पूरा Calendar

punjabkesari.in Thursday, Dec 04, 2025 - 12:21 PM (IST)

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Paush Month 2025: पौष मास हिंदू पंचांग का दसवां महीना होता है, जो शीत ऋतु में पड़ता है। यह महीना सूर्य पूजा और पितृ तर्पण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। पौष मास 2025 में मुख्य रूप से 5 दिसंबर को शुरू होकर जनवरी 2026 के मध्य तक चलेगा। पौष मास शीत ऋतु के चरम काल में आता है, जब सूर्य अपनी प्रकाश ऊर्जा से धरती पर स्थिरता लाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मास में पूजा-पाठ, दान-धर्म और ध्यान का फल कई गुना बढ़ जाता है। जो भी व्यक्ति इस महीने में नियम, संयम और भक्ति का पालन करता है, उसे विशेष रूप से भगवान विष्णु, सूर्य देव और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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पौष माह के व्रत-त्योहार

5 दिसंबर 2025 - रोहिणी व्रत 
7 दिसंबर 2025 - अखुरथ संकष्टी चतुर्थी
11 दिसंबर 2025 - कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
15 दिसंबर 2025 - सफला एकादशी
16 दिसंबर 2025 - धनु संक्रांति, खरमास शुरू
17 दिसंबर 2025 - बुध प्रदोष व्रत
18 दिसंबर 2025 - मासिक शिवरात्रि
19 दिसंबर 2025 - पौष अमावस्या
24 दिसंबर 2025 - विघ्नेश्वर चतुर्थी
27 दिसंबर 2025 - गुरु गोविंद सिंह जयंती
30 दिसंबर 2025 - पौष पुत्रदा एकादशी 
1 जनवरी 2026 - रोहिणी व्रत, प्रदोष व्रत, नव वर्ष
3 जनवरी 2026 - पौष पूर्णिमा, माघ स्नान प्रारंभ 

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पौष मास का विशेष महत्व

सूर्य पूजा का महत्व
पौष मास में सूर्य देव की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस मास में सूर्य को अर्घ्य देने और रविवार का व्रत रखने से व्यक्ति का तेज, बल और आरोग्य बढ़ता है। चूंकि सूर्य को शनिदेव का पिता माना जाता है इसलिए पौष मास में सूर्य की पूजा करने से शनि दोषों में भी कमी आती है।

खरमास 
पौष मास में ही सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे धनु संक्रांति कहा जाता है।  इस संक्रांति के साथ ही खरमास शुरू हो जाता है, जो मकर संक्रांति तक चलता है। खरमास में विवाह, गृह प्रवेश, और नए व्यावसायिक कार्यों की शुरुआत जैसे सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस दौरान दान-पुण्य, तीर्थ यात्रा, पूजा-पाठ और भगवान विष्णु की उपासना का महत्व बढ़ जाता है।

स्नान-दान का महत्व
पौष मास की अमावस्या और पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और गरीबों को तिल, गुड़, वस्त्र और कंबल दान करने का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि यह समय अत्यधिक शीतकाल का होता है। पौष मास का यह पखवाड़ा आत्मिक शुद्धि, पितरों को सम्मान देने और भगवान विष्णु व सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने का अमूल्य अवसर प्रदान करता है।

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Content Editor

Prachi Sharma

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