यहां किया था रावण ने स्वर्ग की सीढ़ी का निर्माण, जानें क्या है इसका रहस्य

punjabkesari.in Thursday, Aug 01, 2019 - 10:19 AM (IST)

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हिंदू धर्म में वैसे तो 33 कोटि देवी-देवता हैं परंतु देवों के देव एक ही हैं, जो हैं महादेव। ये एक मात्र ऐसे देवता है जिनका न तो किसी ने आरंभ जाना है न ही कोई इनका अंत जानता है। कहते हैं भोलेनाथ से ही सृष्टि है और संपूर्ण सृष्टि इनके द्वारा ही नष्ट होगी। इसीलिए कहा जाता है अंत का आरंभ शिव हैं और हर आरंभ का अंत भी शिव ही हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान शंकर आज भी यानि कलियुग में भी पृथ्वी पर विचरण करते हैं और अपने भक्तों की समस्याओं का निधान करते हैं। लेकिन हम जानते हैं बहुत कम लोग होंगे जो इस बात पर विश्वास करते होंगे। मगर आज हम आपको इनके एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जिससे शायद आप भी इस बात पर विश्वास करना शुरू कर देंगे।
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जी हां, आज हम आपको अपनी वेबसाइट के जरिए एक ऐसे मंदिर के दर्शन करवाएंगे जहां साक्षात भगवान शिव निवास करते हैं। शास्त्रों के अनुसार भोलेनाथ की पूजा से हर तरह के सुख की प्राप्ति होती है, इनकी पूजा सबसे ज्यादा फलदायी मानी जाती है। यही कारण था कि प्राचीन समय देवी-देवताओं से लेकर सभी राक्षस गण तक इनकी ही वंदना करते थे। जिनमें से रावण भगवान शिव का परम भक्त था। वह भगवान को अपने आराध्य मानता था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रावण ने एक बार उन्हें यानि अपने ईष्ट को प्रसन्न करने के लिए अपने सर तक काटकर चढ़ा दिया। अपनी प्रति रावण की असीम भक्ति को देखकर भगवान शिव धरती पर उतर आए थे। कहते हैं जिस स्थान पर भगवान शिव ने उस समय निवास किया था कहां जाता है वहां से स्वर्ग जाने का रास्ता था।

तो आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में साथ ही जानेंगे कि रावण को इस मंदिर का कैसे पता चला-
हिमाचल प्रदेश को पावन स्थाली माना जाता है क्योंकि हिंदू धर्म से जुड़े कई मंदिर आज हैं जिसका संबंध देवी-देवता से जुड़ा हुआ है। बता दें इसे देवभूमि भी कहा जाता है। आज हम इन्ही प्राचीन मंदिरों में से एक के बारे में विस्तार से जानेंगे जो हिमाचल प्रदेश से 70 कि.मी से दूर सिरमौर नामक जिले में हैं।

बता दें सिरमौर का मुख्यालय पोडिवाल है, जो नाहन से 6 कि.मी. दूर स्थित है। इसी जगह पर ही भगवान शिव का एक विचित्र चमत्कारिक मंदिर स्थापित है, जिसे पोडिवाल शिव मंदिर कहा जाता है।

लोक मान्यता के अनुसार इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक ऐसे ही मंदिर का वर्णन रामायण काल के एक मंदिर से किया गया। इसलिए इस मंदिर की रावण के उसी स्वर्ग सीढ़ियों वाले मंदिर से तुलना की जाती है।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था बदले में भगवान शिव ने रावण को वर दिया कि अगर रावण एक दिन के भीतर पांच पौड़ियों यानि 5 सीढियों का निर्माण कर देता है तो उसको अमरता मिल जाएगी। लेकिन यह सीढ़ियां बनाते-बनाते रावण की आंख लग गई। जिसके कारण रावण का स्वर्ग जाने का सपना पूरा नहीं हुआ और शरीर में अमृत रखे हुए भी उसे अपनी देह को त्यागना पड़ा।

प्रचलित मान्यता के अनुसार रावण ने स्वर्ग के लिए प्रथम पौड़ी हरिद्वार में बनाई इसलिए इसे हर की पौड़ी कहा जाता है। दूसरी पौड़ी वाला में, तीसरी पौड़ी चुडेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई थी। पांचवी पौड़ी बनाने से पहले रावण की आंख लग गई और जब आंख खुली तो रावण ने देखा सुबह हो चुकी थी। कहा जाता है पोडिवाल यानि दूसरी पौड़ी में स्थापित शिवलिंग में भगवान शिव आज भी साक्षात विद्यामान हैं। मगर इनके दर्शन केवल इनके सच्चे भक्तों को ही होते हैं।
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Jyoti

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