Parshuram Jayanti 2020: राम से कैसे बने परशुराम, पढ़ें कथा
punjabkesari.in Saturday, Apr 25, 2020 - 06:35 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Parshuram Jayanti 2020: जब-जब यह पृथ्वी असुरों एवं अत्याचारियों के अत्याचार से त्रस्त हुई तथा जब-जब मानव जाति के लिए अधर्मियों ने संकट पैदा किए, तब-तब भगवान श्री हरि विष्णु ने उनका संहार करने के लिए अवतार धारण किए। भगवान विष्णु जी के छठे अवतार के रूप में वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को समस्त सनातन जगत के आराध्य भृगुकुल शिरोमणि भगवान परशुराम जी ने पिता महर्षि जमदग्नि तथा माता रेणुका के गर्भ से जन्म लिया। पितामह भृगु ने सर्वप्रथम इनका नामकरण राम किया परन्तु भगवान शिव द्वारा प्रदान किए परशु को धारण करने से यह परशुराम हो गए।
इनके आगे सम्पूर्ण वेद, उपवेद एवं उपनिषद् गान करते हैं, पीठ पर वाणों से भरा तुणीर तथा कंधे पर दिव्य धनुष तथा हाथ में परशु शोभित हो रहा है, जो यज्ञादि पुण्य कर्मों की सम्पन्नता हेतु कमंडल रखते हैं, समग्र शास्त्रों के मर्मज्ञ भगवान परशुराम जी का अवतरण भक्तों पर अनुग्रह करने के लिए हुआ। धर्म से द्वेष करने वाले अन्यायियों का दमन करने के लिए तथा जगत की रक्षा के लिए भगवान परशुराम जी ने परशु को धारण किया।
ॐ नम: परशुहस्ताय नम: कोदंड धारिणे। नमस्ते रुद्ररुपाय विष्णवे वेदमूर्तये।।
हाथ में परशु धारण करने वाले भगवान परशुराम जी को नमस्कार। हाथ में धनुष धारण करने वाले परशुराम जी को नमस्कार। रुद्ररूप परशुराम जी को नमस्कार। साक्षात वेदमूर्ति भगवान विष्णुरूप परशुराम जी को नमस्कार।
जमदग्निनंदन श्री परशुराम ने ब्राह्मण कुल का मान बढ़ाया। भृगुकुल शिरोमणि रेणुका नंदन भगवान परशुराम जी की यशोर्कीत का गान तीनों लोकों के प्राणी करते हैं।
शुभ्रदेहं सदा क्रोधरक्तेक्षणम्, भक्तपालं कृपालुं कृपावारिधिम्। विप्रवंशावतंसं धनुर्धारिणम्, भव्ययज्ञोपवीत कलाकारिणम्। यस्य हस्ते कुठारं महातीक्ष्णकम् रेणुकानंदन जामदग्न्यं भजे
भगवान परशुराम जी की क्षमाशीलता, दानशीलता, नैतिकता, न्यायप्रियता, मातृ-पितृ भक्ति, समस्त मानवीय समाज के लिए अनुकरणीय एवं वंदनीय है।