Parshuram Jayanti 2019ः नहीं जानतें होंगे आप भगवान परशुराम के बारे में ये बातें

punjabkesari.in Sunday, May 05, 2019 - 04:59 PM (IST)

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हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के अवतारों के बारे में तो सबको जानकारी होगी। भगवान परशुराम श्री हरि के छठें अवतार माने जाते हैं। भगवान परशुराम किसी समाज विशेष के आदर्श नहीं है। वे संपूर्ण हिंदू समाज के हैं और वे चिरंजीवी हैं। उन्हें राम के काल में भी देखा गया और कृष्ण के काल में भी। उन्होंने ही भगवान श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र उपलब्ध कराया था। कहते हैं कि वे कलिकाल के अंत में उपस्थित होंगे। 07 मई अक्षय तृतीया वाले दिन इनकी जयंती मनाई जाएगी। इन्हें शिव जी के परम प्रिय भक्त के रूप में भी जाना जाता है।  
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मान्यता है कि भगवान परशुराम का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था। परशुराम जी के जन्म समय को सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है। भगवान शिव के परमभक्त परशुराम जी को न्याय का देवता माना जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान परशुराम के क्रोध से स्वयं गणेश जी भी नहीं बच पाए थे। ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, एक बार जब परशुराम जी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे तो भगवान गणेश जी उन्हें शिव से मुलाकात करने के लिए रोक दिया। इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था। जिसके बाद भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगे।
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परशुराम रामायण और महाभारत दो युगों की पहचान हैं। रामायण त्रेतायुग में और महाभारत द्वापर में हुआ था। पुराणों के अनुसार एक युग लाखों वर्षों का होता है। ऐसे में देखें तो भगवान परशुराम ने न सिर्फ श्री राम की लीला बल्कि महाभारत का युद्ध भी देखा।

परशुराम जी ने कर्ण और पितामह भीष्म को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा भी दी थी। कर्ण ने भगवान परशुराम से झूठ बोलकर शिक्षा ग्रहण की थी। जब यह बात परशुराम जी को पता चली तो उन्होंने कर्ण को श्राप दिया कि जिस विद्या को उसने झूठ बोलकर प्राप्त की है, वही विद्या युद्ध के समय वह भूल जाएगा और कोई भी अस्त्र या शस्त्र नहीं चला पाएगा।
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ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम कभी अकारण क्रोध नहीं करते थे। जब सम्राट सहस्त्रार्जुन का अत्याचार व अनाचार अपनी चरम सीमा लांघ गया तब भगवान परशुराम ने उसे दंडित किया। भगवान परशुराम को जब अपनी मां से पता चला कि ऋषि-मुनियों के आश्रमों को नष्ट और अकारण उनका वध करने वाला दुष्ट राजा सहस्त्रार्जुन ने उनके आश्रम में आग लगा दी और कामधेनु छीन कर ले गया। तब उन्होंने पृथ्वी को दुष्ट क्षत्रियों से रहित करने का प्रण किया। इसके पश्चात् उन्होंने सहस्त्रार्जुन की अक्षौहिणी सेना व उसके सौ पुत्रों के साथ ही उसका भी वध कर दिया। भगवान परशुराम ने 21 बार घूम-घूमकर दुष्ट क्षत्रियों का विनाश किया। 


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