किसी को दण्ड देने से पहले पढ़ें भारतीय राजनीति के पंडित बी.एस. श्रीनिवास शास्त्री की ये सीख

punjabkesari.in Sunday, Feb 26, 2023 - 10:47 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Inspirational Story: एक विश्वविद्यालय के प्रधानाचार्य अपने उपकुलपति से बहुत हैरान थे। वह विद्यार्थियों को जो भी दंड देते, विद्यार्थी उपकुलपति के पास जाते और माफ करा लाते। जब उन्होंने देखा कि उपकुलपति के व्यवहार में कोई परिवर्तन होने वाला नहीं है तब उन्होंने उनके पास जाकर शिकायत की ‘‘आप जो करते हैं, उसका प्रभाव संस्था पर अच्छा नहीं पड़ेगा। विद्यार्थी आपको छोड़कर किसी भी अध्यापक की बात नहीं मानेंगे और हम लोगों का काम करना मुश्किल हो जाएगा।’’

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यह सुनकर उपकुलपति बोले, ‘‘आप ठीक कहते हैं पर क्या आप मेरी विवशता के लिए मुझे क्षमा नहीं करेंगे?

कैसी विवशता?’’ एक अध्यापक ने पूछा।

उपकुलपति बोले, ‘‘जब मैं छोटा था तो मेरे पिता की मृत्यु हो गई थी घर में केवल मां थी और बेहद गरीबी थी। मैं स्कूल में पढ़ता था। फीस उन दिनों नाममात्र को लगती थी, लेकिन वह भी समय पर नहीं मिल पाती थी। मां चाहती थी कि मैं ढंग के कपड़े पहनकर स्कूल जाऊं, पर लाती कहां से ? एक दिन घर में साबुन के लिए पैसा न था। मैं मैले कपड़े पहनकर स्कूल चला गया। अध्यापक क्लास में आते ही मुझे देखकर बोले, इतने गंदे कपड़े पहनकर स्कूल आने में शर्म नहीं आती ? मैं तुम पर आठ आना जुर्माना करता हूं।’’

मेरे पैरों के नीचे से धरती खिसक गई क्योंकि जब घर में साबुन के लिए एक आना पैसा नहीं था तो मां आठ आने कहां से लाएंगी ? तब से मुझे बराबर इस बात का ध्यान रहता है कि विद्यार्थी की पूरी परिस्थिति जाने बिना यदि हम उसे दंड देते हैं तो प्राय: उसके साथ अन्याय कर बैठते हैं। अध्यापक निरुत्तर होकर चले गए। यह घटना भारतीय राजनीति के पंडित बी.एस. श्रीनिवास शास्त्री के बाल्य काल की है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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