कल से शुरू हो रहा है पंचक, इन कामों पर लग जाएगी रोक

punjabkesari.in Friday, Mar 20, 2020 - 10:12 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अशुभ समय होने पर कोई भी धार्मिक या शुभ काम नहीं किए जाते हैं। उसी तरह पंचक में हर शुभ काम पर रोक लग जाती है। बता दें कि ज्योतिष में पांच नक्षत्रों के मेल से बनने वाले योग को पंचक कहते है। हर दिन के हिसाब से लगने वाले पंचक अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। कल शनिवार सुबह से पंचक की शुरूआत हो रही है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार ग्रहों और नक्षत्रों की चाल का हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इसमें पंचक काल बहुत अहम बन जाता है। पांच दिनों तक लगने वाले पंचक काल में शुभ काम करने की मनाही होती है।
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पंचक आरम्भ
मार्च 21, 2020, शनिवार
को 06:21 ए एम बजे
पंचक अंत
मार्च 26, 2020, बृहस्पतिवार
को 07:17 ए एम बजे
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वैदिक ज्योतिष के अनुसार पांच नक्षत्रों के विशेष मेल से बनने वाले योग को पंचक कहा जाता है। चंद्रमा एक राशि में ढाई दिन रहता है। इस तरह दो राशियों में चंद्रमा पांच दिनों तक रहता है। इन्हीं पांच दिनों के दौरान चंद्रमा जब आखिरी पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से होकर गुजरता है तो इसे पंचक कहते हैं। 
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पंचक के दिन और प्रभाव 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दिन के हिसाब से सभी पंचक का प्रभाव अलग-अलग होता है। यह इस बात पर निर्भर है कि पंचक की शुरुआत किस दिन से हुई है। अगर पंचक की शुरुआत रविवार से होती है तो उसे रोग पंचक कहते हैं। ऐसे ही शनिवार से शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है। सोमवार से शुरू हुए पंचक को राजपंचक, मंगलवार को अग्नि पंचक, बुध और गुरुवार को अशुभ जबकि शुक्रवार को चोर पचंक कहा जाता है।
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इस दौरान न करें ये काम
ऐसा माना जाता है कि पंचक के दौरान कभी भी दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। इसे दरअसल यम की दिशा के तौर पर जाना जाता है। इसलिए इस दिशा में पंचक के दौरान यात्रा से हानि और कष्ट की आशंका रहती है। 

पंचक के दौरान सोने के लिए स्थान जैसे पलंग बनवाना, पलंग खरीदना, बिस्तर आदि खरीदना भी वर्जित है। इन दिनों में इन्हें खरीदना अशुभ माना गया है। 
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इस बार पंचक शनिवार को शुरू हो रहा है और ये मृत्यु पंचक कहलाता है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक का समय में हो जाती है, तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों के शव का पूरी विधि-विधान से अंतिम संस्कार करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।


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