कल इन मंत्रों से करें पूजन, घर होगा धन-धान्य से पूर्ण

punjabkesari.in Wednesday, Jan 31, 2018 - 12:50 PM (IST)

आज गुरुवार दि॰ 01.02.18  महादेव को समर्पित फाल्गुन माह प्रारंभ हो रहा है। फाल्गुन हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का बारहवां महीना है। शास्त्रों में फाल्गुन को वसंत भी कहा है क्योंकि इस समय में न तेज गर्मी व न तेज सर्दी होती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शब्द फाल्गुन पूर्वा व उत्तरा दो फाल्गुनी नक्षत्र से बना है। धर्मशास्त्रों के अनुसार फाल्गुन माह में दोनों फाल्गुनी नक्षत्र के आने पर व्रती को पलंग व बिछाने योग्य सुंदर वस्त्र दान करना चाहिए। इससे अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है व सौभाग्य जागृत होता है। कश्यप व अदिति से अर्यमा की पूजा तथा अत्रि व अनुसूया से चंद्रमा की उत्पत्ति फाल्गुनी में हुई थी। फाल्गुन की पौराणिक किवंदीती अनुसार ब्राह्यण विष्णु शर्मा ने अपनी वृद्धावस्था में सातों बहूओं से फाल्गुनी गणेश व्रत करने को कहा परंतु 6 बहूओं ने उसकी आज्ञा नहीं मानी। परंतु सबसे छोटी बहू ने ससुर की आज्ञा से निराहार जागकर व्रत पालन किया जिससे उसका उद्धार हुआ। फाल्गुन में मूलतः गणपती, लक्ष्मी, पार्वती, श्रीहरि व महादेव के पूजन का विधान है। जिससे अविवाहितों को सुंदर जीवनसाथी की प्राप्ति होती है, घर धन-धान्य से पूर्ण होता है व सर्व मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।


विशेष पूजन विधि: घर के ईशान कोण में पीले वस्त्र पर गणपती, लक्ष्मी, पार्वती, श्रीहरि व महादेव का चित्र स्थापित कर विधिवत पंचोपचार पूजन करें। हल्दी मिले घी का दीप करें, सुगंधित धूप करें। केसर से तिलक करें। गेंदे के फूल चढ़ाएं, कद्दू के हलवे का भोग लगाएं। किसी माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन उपरांत भोग पीली आभा लिए गाय को खिलाएं। 


पूजन मुहूर्त: शाम 15:30 से शाम 16:30 तक है। 
गणेश पूजन मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः॥
लक्ष्मी पूजन मंत्र: ॐ श्रीं श्रीये नमः॥
विष्णु पूजन मंत्र: ॐ नमो नारायण॥
पार्वती पूजन मंत्र: ॐ उमायै नमः॥
शिव पूजन मंत्र: ॐ नमः शिवाय॥
पूजन मुहूर्त: प्रातः 11:15 से दिन 12:15 तक।


उपाय
सर्व मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु लक्ष्मी-नारायण पर चढ़े 12 अमरूद गरीब बच्चों में बांटे।


धन-धान्य में वृद्धि हेतु शिवलिंग पर चढ़े सप्तधान किचन में छुपाकर रखें।


सुंदर जीवनसाथी की प्राप्ति हेतु शिवालय में मौली में पिरोए 7 पीले फूलों से शंकर-पार्वती का गठबंधन कराएं।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 


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