क्या सच में एक पत्थर भी हमें दे सकता है ऐसी सीख ?

punjabkesari.in Thursday, Oct 31, 2019 - 09:12 AM (IST)

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यूनानी विचारक डायोजिनीज घुमक्कड़ स्वभाव के थे। वह सुकरात के शिष्य थे और उनके विचारों से बेहद प्रभावित थे। वह सुकरात की तरह ही लोगों की समस्याओं का समाधान करने की कोशिश में लगे रहते थे। धीरे-धीरे उनकी ख्याति भी दूर-दूर तक फैलती जा रही थी। वह अपने व्यक्तित्व में सुधार के लिए लगातार प्रयास करते थे। कभी फूलों के पास जाकर उनसे बात करते तो कभी समुद्र के किनारे शांत मन से आंखें बंद करके ध्यान में लग जाते और अपने मन को नियंत्रित करने का प्रयास करते थे। एक दिन वह एक पत्थर की मूर्ति के पास गए और उससे बातें करने लगे। एक युवक वहां से गुजर रहा था। उसने उन्हें पत्थर की मूर्ति से बात करते देखा तो हैरान रह गया।
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वह युवक उनके करीब आया और बोला, ''महानुभाव, आपसे यह उम्मीद नहीं थी। हम लोग तो आपके व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने का प्रयास करते हैं। आप ऐसी छोटी एवं अजीब हरकत कर रहे हैं! एक मामूली पत्थर से बात कर रहे हैं। आखिर इसका क्या मतलब है? भला एक पत्थर क्या जवाब देगा? किसी पत्थर से आप शराफत से बात करो या बदतमीजी से वह तो शांत ही रहेगा।

युवक की बात सुनकर डायोजिनीज मुस्कुरा कर बोले, ''बिल्कुल सही कहा तुमने कि भला एक पत्थर क्या जवाब देगा? वह तो शांत ही रहेगा। मैं भी इस पत्थर से यही सीखने का प्रयास कर रहा हूं। यदि कोई मुझे गालियां दे या अनुचित बात करे तो मुझे इस पत्थर की तरह ही शांत रहना है। हर हालत में शांत बने रहना है। एक पत्थर से बेहतर यह सीख और कौन दे सकता है? और कोई हो तो मुझे भी बताओ। मैं उसी के पास जाऊंगा। विचारक डायोजिनीज की बात सुनकर युवक विस्मित रह गया। उसने कहा, ''सचमुच धन्य हैं आप। इतनी गहरी बात आप ही सिखा सकते थे मुझे।


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