Bhimseni Ekadashi: जानें, कैसे आरंभ हुआ निर्जला एकादशी व्रत

punjabkesari.in Tuesday, Jun 18, 2024 - 06:15 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Pandava Ekadashi: हिन्दू माह के ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाने वाला निर्जला एकादशी व्रत बहुत कठिन होता है। इस व्रत का मात्र धार्मिक महत्व ही नहीं है बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के नजरिए से भी बहुत महत्व है। भगवान विष्णु को समर्पित यह व्रत मन को संयम सिखा एक नई ऊर्जा देता है। यह व्रत पुरुष व महिला दोनों द्वारा किया जा सकता है। यह व्रत द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक चलता है, तत्पश्चात दान पुण्य के बाद यह व्रत सम्पूर्ण होता है। 

PunjabKesari Nirjala Ekadashi Vrat katha

ये है व्रत कथा
पांडवों में शक्तिशाली भीम के पेट में वृक नामक अग्नि स्थापित थी जिस कारण उन्हें वृकोदर भी कहा जाता था। उन्होंने नागलोक के दस कुंडों का जल भी पी रखा था जिससे उनके शरीर में दस हजार हाथियों के समान बल आ गया था। यही वजह थी कि वह शीघ्र ही भोजन पचाने की क्षमता रखते थे। सभी अन्य पांडव व द्रौपदी हर एकादशी को व्रत करते थे लेकिन भीम के लिए यह व्रत कठिन था क्योंकि वह एक पल भी भूखे नहीं रह सकते थे।

PunjabKesari Nirjala Ekadashi Vrat katha

ऐसे में महर्षि वेद व्यास जी ने उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी और कहा कि इस व्रत से तुम्हें पूरे वर्ष की एकादशियों का फल प्राप्त होगा। भीम ने इस व्रत को पूरी श्रद्धा से किया, तभी तो यह एकादशी पांडव एकादशी के रूप में भी जानी जाती है।     

PunjabKesari Nirjala Ekadashi Vrat katha


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News