इस अवस्था में न करें किसी को प्रणाम, भोगना पड़ सकता है उलटा परिणाम

punjabkesari.in Thursday, Jul 11, 2019 - 05:24 PM (IST)

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भारतीय संस्कृति में हमेशा छोटे से लेकर बड़ों को भी हर तरह के संस्कार दिए जाते हैं। उन्हीं संस्कारों में से एक हैं अपने से बड़ों को प्रणाम करना या उनके पैर छुना और उनसे आशीर्वाद लेना। लेकिन क्या आपको मालूम है कि कई बार कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं, जिनमें हमें प्रणाम करने और चरण स्पर्श करने से बचना चाहिए। अगर नहीं जानते आप तो हम आपके बताएंगे कि किस अवस्था में प्रणाम नहीं करना चाहिए। 
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शास्त्रों के अनुसार श्मशान से लौटते हुए व्यक्ति को प्रणाम करना वर्जित है। इसका कारण मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक है। श्मशान से लौटते समय व्यक्ति की मनोदशा सामान्य से अलग होती है। उस स्थिति में वह हृदय और मन से व्यथित और अस्थिर भी होता है। काफी हद तक उसका सांसारिक मोह उस समय भंग हो चुका होता है। ऐसे में वह खुश होकर आशीर्वाद नहीं दे पाता है।

कहते हैं कि जब कोई व्यक्ति ध्यान कर रहा हो तो उसे प्रणाम नहीं करना चाहिए। क्योंकि पूजा करते हुए व्यक्ति को भी प्रणाम नहीं करना चाहिए और न ही उससे बात करनी चाहिए। इससे उसकी भक्ति में विघ्न पड़ सकता है।
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हिंदू धर्म में अपने से बड़ों के चरण स्पर्श करने का भी विधान है। लेकिन पैर छुते समय एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगर कोई व्यक्ति सो रहा हो तो उसके पैरों को नहीं छुना चाहिए।  क्योंकि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, लेटे हुए व्यक्ति के पैर केवल एक ही स्थिति में स्पर्श किए जा सकते हैं, जब उसकी मृत्यु हो चुकी हो। 
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प्रणाम हमेशा दोनों हाथों को जोड़कर करना चाहिए। एक हाथ से प्रणाम करना उचित नहीं होता है। जब हम दोनों हाथों को मिलाकर प्रणाम करते हैं तो हमारी हथेलियों में बने एक्यूप्रेशर पॉइंट्स में रगड़ होती है और दबाव पड़ता है। इससे हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 


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