Narada Jayanti: नारद कुंड में स्नान के बाद आरंभ होता है नया जीवन
punjabkesari.in Friday, May 08, 2020 - 06:56 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
शास्त्रों में उल्लेख के अनुसार ‘नार’ शब्द का अर्थ जल है। यह सबको जलदान, ज्ञानदान करने एवं तर्पण करने में निपुण होने की वजह से नारद कहलाए। सनकादिक ऋषियों के साथ भी नारद जी का उल्लेख आता है। भगवान सत्यनारायण की कथा में भी उनका उल्लेख है। नारद अनेक कलाओं में निपुण माने जाते हैं। यह वेदांतप्रिय, योगनिष्ठ, संगीत शास्त्री, औषधि ज्ञाता, शास्त्रों के आचार्य और भक्ति रस के प्रमुख माने जाते हैं। यह भागवत मार्ग प्रशस्त करने वाले देवर्षि हैं। ‘पांचरात्र’ इनके द्वारा रचित प्रमुख ग्रंथ है। वैसे 25 हजार श्लोकों वाला प्रसिद्ध नारद पुराण भी इन्हीं के द्वारा रचा गया है।
पुराणों में इन्हें भगवान के गुण गाने में सर्वोत्तम और अत्याचारी दानवों द्वारा जनता के उत्पीडऩ का वृतांत भगवान तक पहुंचाने वाला त्रैलोक्य पर्यटक माना गया है। कई शास्त्र इन्हें विष्णु का अवतार भी मानते हैं और इस नाते नारद जी त्रिकालदर्शी हैं।
ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार यह ब्रह्मा जी के कंठ से उत्पन्न हुए और ऐसा विश्वास किया जाता है ब्रह्मा जी से ही इन्होंने संगीत की शिक्षा ली थी।
भागवत के अनुसार नारद अगाध बोध, सकल रहस्यों के वेत्ता, वायुवत् सब के अंदर विचरण करने वाले और आत्म साक्षी हैं।
नारदपुराण में उन्होंने विष्णु भक्ति की महिमा के साथ-साथ मोक्ष, धर्म, संगीत, ब्रह्मज्ञान, प्रायश्चित आदि अनेक विषयों की मीमांसा प्रस्तुत की है। ‘नारद संहिता’ संगीत का एक उत्कृष्ट ग्रंथ है।
बद्रीनाथ तीर्थ में अलकनंदा नदी के तट पर नारद कुंड है जिसमें स्नान करने से मनुष्य मात्र पवित्र जीवन की ओर मुखर होता है और मान्यताओं के अनुसार मरने के पश्चात मोक्ष ग्रहण करता है।