साल के 365 दिनों में से 1 ही दिन खुलते हैं इस मंदिर के कपाट, मिलती है सर्प दोष से मुक्ति

punjabkesari.in Sunday, Aug 04, 2019 - 03:10 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
जैसे कि सब जानते हैं सावन महीना शुरु होते ही हिंदू धर्म के बाकि के कई त्यौहारों की झड़ी लग जाती है। कल यानि श्रावण मास व शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानि 5 अगस्त 2019 को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन नागों की पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कुंडली के सर्पदोष से भी मुक्ति पाई जा सकती है। बता दें श्रावण मास में शिव जी जितना उनकी पूजा से प्रसन्न होते हैं उतना ही वे नाग देवता की पूजा से प्रसन्न होते हैं। क्योंकि भगवान शिव के गले में सर्प सुशोभित हैं जो उन्हें अधिक प्रिय हैं।

माना जाता है इन्हीं मान्यताओं के अनुसार इसी के चलते हिंद धर्म में नाग देवता को इतना महत्व दिया जाता है। अब इन बातों से तो हर कोई वाकिफ़ होगा कि इस दिन इनकी पूजा होती है। लेकिन हम आपके लिए लाएं इससे जुड़ी ऐसी खास बात जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे।
PunjabKesari,  नागचन्द्रेश्वर मंदिर
हम आपको बताएंगे नाग देवता के ऐसे तीन मंदिरों के बारे में जो केवल नाग पंचमी के दि ही खुलते हैं। यानि ये मंदिर साल के 365 दिनों में से केवल 1 दिन ही खुलते हैं। जी हां, आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे लेकिन ये सच है। आइए जानते हैं इससे संबंधित रोचक बातें-

यूं तो देश के कई राज्यों में नाग देवता के मंदिर हैं पर उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर की बात कुछ अलग ही है। इसकी प्रसिद्ध का कारण है मंदिर का पूरे साल में केवल एक दिन खुलना। बता दें यह प्राचीन मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के प्रांगण में ही स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हर साल नाग पंचमी के दिन मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और विधि-वत नाग देवता की पूजा होती है। मंदिर के पुजारियों के बताए अनुसार इस दौरान स्वयं नागराज तक्षक मंदिर में उपस्थित रहते हैं।


बता दें कि नागचन्द्रेश्वर मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के परिसर में सबसे ऊपर यानि तीसरे खंड में स्थित है। ग्यारहवीं शताब्दी के इस मंदिर में नाग पर आसीन शिव-पार्वती की अतिसुंदर प्रतिमा स्थापित है, जिसके ऊपर छत्र के रूप में नागदेवता अपना फन फैलाए हुए हैं। कहा जाता है यगह दुनिया का यह एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर देवों के देव शिव और पार्वती की ऐसी अद्भुत प्रतिमा स्थापित है।
PunjabKesari, नागचन्द्रेश्वर मंदिर
मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यता व कथा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार महादेव को खुश करने के लिए नागराज तक्षक ने कई सालों तक उनकी तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था। इसके बाद तक्षक ने शिवजी के सान्निध्य में वास करना शुरू कर दिया। कहा जाता है इन्हीं कारणों से मंदिर में बनी मूर्ती में शिव तक्षक के साथ स्थापित की गई है।
 

सर्पदोषों से मुक्ति
मान्यता है इस मंदिर में नाग पंचमी के दिन पूजा करने से सर्पदोषों से मुक्ति मिलती है। जिसके चलते हर साल इस दिन यहां श्रद्धालुओं का तांता लगता है। इसके अलावा देश में दो और मंदिर ऐसे हैं जो केवल नाग पंचमी के दिन है खुलते हैं।
PunjabKesari, नागचन्द्रेश्वर मंदिर, Nagchandreswara Temple
मन्नारसला श्रीनागराज मंदिर -
यह मंदिर केरल के अलप्पुझा जिले के हरीपद गांव में घनें जंगल के बीच स्थित है। इस मंदिर की ओर बढ़ने पर रास्ते में पेड़ों पर 30000 से ज्यादा सापों की आकृति बनी हुई दिखाई देती है। यहां नागदेवता के साथ उनकी पत्नी नागयक्षी की प्रतिमा भी मौजूद है।

PunjabKesari, मन्नारसला श्रीनागराज मंदिर, Mannarsala Sri Nagaraja Temple
धौलीनाग मंदिर-
उत्तराखण्ड राज्य के बागेश्वर जनपद में स्थित धौलीनाग मंदिर बहुत ही खास है। इस मंदिर में रोज नागदेवता की पूजा होती है। इसकी स्थापना विजयपुर के पास एक पहाड़ी की चोटी पर हुई थी।
PunjabKesari, धौलीनाग मंदिर, Dhaulinag Temple


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News