Muni Shri Tarun Sagar: धन तो बढ़ रहा है पर हमारी उम्र घट रही है
punjabkesari.in Friday, Jul 04, 2025 - 03:01 PM (IST)

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यही है जिंदगी
किसी ने सवाल किया जिंदगी क्या है ? मैंने कहा, ‘‘एक आदमी फुटपाथ पर सिगरेट पीते जा रहा था। पांव के नीचे केले का छिलका आ गया। वह फिसल गया, गिर पड़ा और खत्म हो गया। सिगरेट जल रही थी पर आदमी बुझ गया था। बस यही है जिंदगी। जिन्दगी वन-डे मैच की तरह है, जिसमें रन तो बढ़ रहे हैं पर ओवर घट रहे हैं। मतलब धन तो बढ़ रहा है पर हमारी उम्र घट रही है।
अपना किया और अपना दिया
अपने होश-हवास में कुछ ऐसे सत्कर्म जरूर कर लेना कि मृत्यु के बाद तुम्हारी आत्मा की शांति के लिए किसी और को भगवान से प्रार्थना न करनी पड़े क्योंकि औरों के द्वारा की गई प्रार्थनाएं तुम्हारे बिल्कुल भी काम आने वाली नहीं हैं क्योंकि तुम्हें पता नहीं है अपना किया हुआ और अपना दिया हुआ ही काम आता है?
सुख-दुख मिलना है
आज मन की भूमि पर ऐसे बीज मत बोना कि कल उनकी फसल काटते वक्त आंसू बहाने पड़ें। संसार में अड़चनें और परेशानियां न आएं, यह कैसे हो सकता है। सप्ताह में एक दिन रविवार का भी आएगा न। प्रकृति का नियम ही ऐसा है कि जिंदगी में जितना सुख-दुख मिलना है, वह मिलता ही है। मिलेगा भी क्यों नहीं, टैंडर जो भरोगे वही तो खुलेगा। मीठे के बाद नमकीन जरूरी है तो सुख के साथ दुख का होना भी लाजमी है। दुख बड़े काम की चीज है। जिंदगी में दुख न हो तो कोई प्रभु को याद ही न करे।
पसीना बहाना सीखिए
पसीना बहाना सीखिए। बिना पसीना बहाए जो हासिल होता है वह पाप की कमाई है। ब्याज पाप की कमाई है क्योंकि इसमें पसीना नहीं बहाना पड़ता लेकिन हम बड़े चतुर लोग हैं, आज हमने प्याज खाना तो छोड़ दिया लेकिन ब्याज खाना जारी है। ब्याज खाना प्याज खाने से भी बड़ा पाप है। पसीने की रोटी खाइए। पाप की कमाई से आप पत्नी को सोने का कंगन तो पहना सकते हैं, मगर यह भी संभव है कि इसके लिए आपको लोहे की हथकड़ियां पहननी पड़ जाएं।