Muni Shri Tarun Sagar: पद और मद दोनों सगे भाई हैं

punjabkesari.in Wednesday, Aug 30, 2023 - 08:30 AM (IST)

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Muni Shri Tarun Sagar: सेवा करनी है तो पद आदि के चक्कर में मत पड़ना। बिना पद के ही सेवा में लग जाना, क्योंकि पद और मद दोनों सगे भाई हैं।

पद के आते ही आदमी में मद भी आ जाता है और फिर अहंकारी आदमी सेवा कैसे कर सकता है?
 
पद शाश्वत नहीं है। पद से उतरते ही आदमी भूत हो जाता है, जैसे भूतपूर्व मुख्यमंत्री। संत-मुनि कभी पद नहीं होते इसलिए वे कभी भूत नहीं होते। पद में राजी होने वाला ‘भूतपूर्व’ और प्रभु में राजी होने वाला ‘अभूतपूर्व’ हो जाता है।

PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar

गुरु के बिना जीवन अधूरा
मां-बाप सिर्फ जन्म देते हैं, जीवन तो गुरु से ही मिलता है। गुरु स्वयं शक्ति सम्पन्न होते हैं, मगर वे अपनी शक्ति पर ‘इतराते’ नहीं है, बल्कि वे खुद भवसागर से तरते हैं और शिष्यों को भी ‘तराते’ हैं। गुरु के बिना जीवन अधूरा है। जीवन में एक गुरु जरूर होना चाहिए फिर चाहे वह मिट्टी का द्रोणाचार्य ही क्यों न हो।

एक फैमिली डॉक्टर, जो हमारे मन के रोगों का उपचार करते हैं। किसी भी शिष्य के लिए गुरु का द्वार मंदिर-मस्जिद की चौखट से अधिक महत्वपूर्ण होता है।

एक परिस्थिति, दो मन: स्थिति
वृद्ध व्यक्ति ने अपने गांव में नए व्यक्ति को देखा।

जिज्ञासावश पूछा- आप श्रीमान् कौन ?

मैं आपके गांव के स्कूल में टीचर हूं।

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आपके परिवार में कौन-कौन हैं ?

मैं हूं, मेरी पत्नी है, मेरे दो बच्चे हैं, बूढ़ी मां है। उसको हमने अपने पास ही रख लिया है।

कुछ समय पश्चात फिर एक नया व्यक्ति गांव में दिखाई दिया।

वृद्ध ने फिर पूछा : आप श्रीमान् कौन हैं?

मैं आपके गांव के पोस्ट ऑफिस में नया कर्मचारी हूं।

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आपके परिवार में कौन-कौन हैं?

मैं हूं, मेरी मां हैं, पत्नी है, दो बच्चे हैं। हम अपनी मां के पास रहते हैं। एक परिस्थिति-दो मन: स्थिति।

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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