Muni Shri Tarun Sagar: पुरुष कल भी आभारी था, आज भी आभारी है

punjabkesari.in Tuesday, Jul 05, 2022 - 01:22 PM (IST)

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दीए का मूल्य ज्योति से
हिंदू और मुसलमान, जैन और बौद्ध, सिख और ईसाई ये सब दीए हैं। शरीर दीया है। शरीर में जो आत्मा है, वह ज्योति है। दीए का मूल्य ज्योति से है। दीवाली की रात लोग किस तरह दीयों को सजाते हैं, जलाते हैं मगर सुबह क्या करते हैं ? कचरे के ढेर पर फैंक देते हैं। क्यों ? क्योंकि अब उनमें ज्योति नहीं रही। आत्मा ज्योति है, ज्योति-ज्योति में फर्क नहीं होता तो हिंदू और मुसलमान में फर्क कैसे होगा? मनुष्य जाति एक है। उसे हिंदू और मुसलमान के नाम पर बांटना और फिर उसे लड़ाना मनुष्यता के विरुद्ध एक षड्यंत्र है।

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नारी के तीन रूप
नारी के तीन रूप हैं- लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा। नारी परिवार को सम्पन्न बनाने के लिए लक्ष्मी का रूप धारण करे। संतान को शिक्षित करने के लिए सरस्वती बनकर दिखाए तथा सामाजिक बुराइयों को ध्वस्त करने के लिए सिंह पर आरूढ़ दुर्गा की भूमिका निभाए। नारी कल भी भारी थी, आज भी भारी है। पुरुष कल भी आभारी था, आज भी आभारी है।

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आसक्ति ही दुखों की जड़
दुनिया में व्यक्ति को आया की तरह रहना चाहिए। आया बच्चे का उबटन करती है, उसे दूध पिलाती है, उसे पुचकारती, खिलाती और प्यार देती है। अपनी गोद में खिलाती है, सीने पर सुलाती है। मगर जब एक दिन किसी बात पर मालिक नाराज हो जाता है, तब उसे कहता है कि तू अपना हिसाब कर ले, मेरे घर से चली जा और वह हिसाब लेकर बोरिया-बिस्तर बांधकर चल देती है। फिर वह उस बच्चे के लिए रोती नहीं है। दुनिया में रहिए। प्यार भी करिए। मगर आसक्ति मत रखिए। आसक्ति ही दुखों की जड़ है। आसक्ति आ तो सकती है, मगर जा नहीं सकती।   

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Content Writer

Niyati Bhandari

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