Muni Shri Tarun Sagar: क्योंकि सास भी कभी बहू थी

punjabkesari.in Saturday, May 14, 2022 - 10:33 AM (IST)

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प्यार छुप-छुप कर रोता है
दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ ? मां की गोद क्योंकि इस गोद में खुद तीर्थंकर और अवतार खेले हैं। प्यार कब रोता है ? जिस दिन घर के आंगन में एक नई दीवार खड़ी हो जाती है, उस दिन दो भाइयों का प्यार छुप-छुप कर रोता है। घोड़ी पर चढ़ा हुआ दूल्हा बारात में क्या विचार करे? यही कि जो आज बारात लेकर आ रहे हैं, कल मेरी अर्थी भी ये लोग उठाएंगे। यदि कोई विश्वास को तोड़ दे तो? उसे माफ कर दीजिए लेकिन उसका नाम याद रखिए।

क्योंकि सास भी कभी बहू थी
अगर आप सास हैं और अपने परिवार में सुख-शांति चाहती हैं तो मेरी 4 बातें ध्यान में रखिए। पहली बात, बहू और बेटी में फर्क मत डालिए। बहू को ही बेटी मानिए। दूसरी बात, कभी बहू से झगड़ा हो जाए तो बहू के मायके वालों को भला-बुरा मत कहिए। इसे बहू बर्दाश्त नहीं करेगी। तीसरी बात, मंदिर में बैठ कर बहू की बुराई मत करिए। इससे सुलह के सारे दरवाजे बंद हो जाएंगे। चौथी बात, हमेशा ध्यान रखिए कि एक बहू की चाहत क्या होती है ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी।’

PunjabKesari, Muni Shri Tarun Sagar, मुनि श्री तरुण सागर जी, Religious Katha

सिकंदर के भी पूरे 100 नहीं हुए
सुखी जीवन का राज है कि जो तुम्हारे पास है, उसका आनंद लो और जो नहीं है उसके पीछे पागल मत बनो। उदाहरण स्वरूप तुम्हारी जेब में 90 रुपए हैं तो उनका आनंद लो, 100 रुपए में जो 10 रुपए कम हैं, इसका दुख मत करो। 100 रुपए पूरे करने के चक्कर में मत पड़ो क्योंकि 100 तो कभी पूरे नहीं होंगे मगर यह हो सकता है कि जो 90 हैं वे भी चले जाएं। सम्राट सिकंदर के भी पूरे 100 नहीं हुए तो फिर तुम किस खेत की मूली हो? तुम तो मूली भी बहुत ‘मामूली’ हो।

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सबसे बड़ी सम्पत्ति
अगर आप मां-बाप हैं तो बच्चों के साथ आत्मीयता पैदा कीजिए। बच्चों से दूरियां नहीं होनी चाहिएं। अपने बच्चों के लिए थोड़ा समय जरूर निकालिए, उनके साथ बैठिए क्योंकि आपकी सबसे बड़ी सम्पत्ति तो वही हैं। पैसा कमाने में इतने व्यस्त मत हो जाना कि बच्चे हाथ से निकल जाएं। बच्चे बिगड़ गए तो फिर पैसा कमा कर भी क्या करोगे ? बच्चे को बच्चा इसलिए कहते हैं क्योंकि उसे बचाना पड़ता है। वह स्वयं बचना नहीं जानता, उसे बुरी नजर और बुरी संगत से बचाइए, वरना कल तुम्हारा बड़ा बुरा होगा।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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