मुंडन संस्कार के पीछे का ये हैं वैज्ञानिक रहस्य
punjabkesari.in Saturday, Jan 16, 2021 - 01:10 PM (IST)
हिंदू धर्म में संस्कारों का बड़ा महत्व है। जन्म से लेकर मरण तक बहुत सारे ऐसे संस्कार होते हैं। जो पूरे करने अनिवार्य होते हैं। ये कुल 16 प्रकार के होते हैं और सबका अपना अलग महत्व होता है। कुछ संस्कार जन्म से पहले होते हैं। कुछ जन्म के बाद और कुछ मरने पर ही पूर्ण किए जाते हैं। ऐसे में बहुत कम लोग 16 संस्कारों के बारे में जानते होते हैं। माना जाता है कि इसकी स्थापना ऋषियों और मुनियों ने की है। सोलह संस्कारों को हिन्दू धर्म की जड़ कहें तो गलत नहीं होगा। आज हम आपको इन्हीं में से एक मुंडन संस्कार के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
सनातन धर्म में मनुष्य के पूरे जीवनकाल में 16 संस्कार बताएं गए हैं। जिनमें से मुंडन संस्कार भी मुख्य संस्कार है। हिंदू धर्म में मुंडन की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। किसी भी शिशु का मुंडन संस्कार ज्यादातर पवित्र धार्मिक स्थलों पर किया जाता है। माता के गर्भ से जन्म लेने के पश्चात शिशु के सिर के जो बाल होते हैं। उन्हें हटाने को मुंडन संस्कार कहा जाता है। मुंडन संस्कार करवाने के पीछे भी कई मान्यताएं और तर्क हैं। नवजात शिशु का मुंडन संस्कार के पीछे धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी माना जाता है। तो चलिए जानते हैं मुंडन संस्कार के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण के बारे में।
हिंदू धर्म में शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार बच्चे का बल, आरोग्य, तेज को बढ़ाने और गर्भवस्था की अशुद्धियों को दूर करने के लिए मुंडन संस्कार एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार है। मुंडन संस्कार करवाने के पीछे पौराणिक मान्यता है कि इससे शिशु की बुद्धि पुष्ट होती है, जिससे बौद्धिक विकास सही से होता है। इसके अलावा माना जाता है कि गर्भ के बालों का विसर्जन करने से बच्चे के पूर्व जन्म के शापों का मोचन हो जाता है। चलिए आगे जानते हैं इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण।
नवजात बच्चे का मुंडन करवाने के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि जब बच्चा जन्म लेता है तब उसके बालों में बहुत से किटाणु और बैक्टीरिया होते हैं और सिर की त्वचा में भी गंदगी होती है, जिसकी सही प्रकार से सफाई करने के लिए उन बालों को हटाया जाता है।