मुक्तेश्वर धाम को झील में डूबने से बचाने के लिए सरकार व बांध प्रशासन ने अभी तक तैयार नहीं की प्रपोजल

punjabkesari.in Monday, Feb 17, 2020 - 09:23 AM (IST)

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जुगियाल (स्माइल): शाहपुरकंडी बैराज बांध का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और अधिकारियों के अनुसार यह डैम 2022 तक बन कर पूरी तरह तैयार हो जाएंगे, वहीं अगर समय रहते कोई प्रपोजल तैयार न की गई तो शाहपुरकंडी डैम बनने से लाखों श्रद्घालुओं की आस्था का केंद्र मुक्तेश्वर धाम झील में डूब जाएगा। इस संबंध में मुक्तेश्वर धाम कमेटी के चेयरमैन भीम सिंह, भाग सिंह, अंकुश तनवाल, सुरिन्द्र कुमार, पुरुषोत्तम सिंह, गोपाल शर्मा, नरेश कुमार, पंडित सूरज तिवारी आदि ने बताया कि देश व क्षेत्र के लिए जितना जरूरी शाहपुरकंडी बांध के निर्माण का होना है, उतना ही जरूरी पावन मुक्तेश्वर धाम को बचाना भी है, क्योंकि इस धाम से पूरे देश नहीं, बल्कि विदेशों के श्रद्घालुओं की आस्था जुड़ी हुई है। इस संबंधी कमेटी की ओर से कई बार बैराज प्रोजैक्ट के चीफ इंजीनियर, जिलाधीश पठानकोट तथा अन्य राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारियों से इस आस्था के केन्द्र को झील में डूबने से बचाने के लिए बैठकें कर चुके हैं व मांग-पत्र भी दे चुके हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा अभी तक इसे बचाने के लिए कोई भी सही प्रपोजल तैयार नहीं की गई है। 
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भीम सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन व बांध प्रशासन ने उन्हें यह भरोसा दिलाया था कि बैराज बांध का काम शुरू होने से पहले इस पावन धाम को बचाने के लिए प्रपोजल तैयार कर ली जाएगी, परंतु बैराज बांध के अधिकारियों के मुताबिक शाहपुरकंडी डैम का काम खत्म होने में मात्र 29 माह और बाकी हैं और इस पावन धाम को बचाने के लिए अभी तक कोई ठोस प्रपोजल तैयार नहीं की गई और बैराज बांध प्रशासन कमेटी सदस्यों को बार-बार झूठे आश्वासन देकर उन्हें अंधेरे में रख रहा है। उन्होंने कहा कि मुक्तेश्वर धाम को बचाने के लिए जहां पर दीवार लगाई जानी है, वहा पर एक बार भी बैराज प्रशासन पानी के भीतर नहीं गया अथवा एक बार भी उक्त स्थान का निरीक्षण नहीं किया और जब तक इस प्राचीन धाम को बचाने के लिए पानी के अंदर से सैंपल नहीं लिए जाते, तब तक इसे झील में डूबने से बचाना संभव नहीं है और यह सारा काम पानी के बहाव को डायवर्ट करके ही किया जा सकता है। समिति सदस्यों ने कहा कि 300 फुट कंक्रीट की दीवार बनाकर इस पावन स्थल को डूबने से बचाया जा सकता है। उन्होंने सरकार व बांध प्रशासन से मांग की कि कमेटी सदस्य को सारी स्थिति संबंधी जानकारी दी जाए व इस पावन धाम को श्रद्घालुओं की आस्था के अनुरूप ही बचाया जाए। 
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5500 वर्ष पुराना है मुक्तेश्वर धाम का इतिहास 
मंदिर के पुजारी पंडित सूरज तिवारी ने बताया कि पंजाब के जिला पठानकोट तहसील धारकलां के रावी दरिया के तट पर गांव डूंग में स्थित मुक्तेश्वर महादेव शिव मंदिर जिसका इतिहास लगभग 5500 वर्ष पुराना है। पांडव अपने अज्ञातवास दौरान यहां पहुंचे थे। उनके द्वारा यहां पहाड़ काटकर जहां गुफाओं का निर्माण किया गया, वहीं उनके द्वारा स्थापित किया शिवलिंग व धूना आज भी उसी जगह पर है। इस शिव मंदिर मुक्तेश्वर महादेव पांडव गुफाओं को हिंदू धर्म में मिन्नी हरिद्वार की महानता मिली है। जहां लोग अपने मृतक परिवारों की अस्थियों को प्रवाहित करते हैं। यहां लोगों की धार्मिक आस्था है कि यहां अस्थियां प्रवाहित करने व स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां लगने वाले मेलों दौरान हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, पंजाब के अतिरिक्त विदेशों से भी श्रद्धालु जहां नतमस्तक होने के लिए प्रत्येक वर्ष आते हैं। उन्होंने डैम प्रशासन से मांग की है कि लाखों लोगों की आस्था के इस केन्द्र को झील में डूबने से बचाने के कोई ठोस प्रपोजल तैयार की जाए ताकि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस न पहुंचे।     


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