Motivational Story: क्यों निस्वार्थ कर्म ही बनते हैं आत्मा की असली खुराक?

punjabkesari.in Thursday, Apr 10, 2025 - 12:48 PM (IST)

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Motivational Story: राजा भोज ने अपने राज्य में कई बड़े मंदिर, धर्मशालाएं, कुएं और तालाब आदि बनवाए थे। उनके मन में इन कामों के लिए बड़ा गर्व था। एक दिन राजा भोज दिनभर की व्यस्तता के बाद गहरी नींद में सोए हुए थे। तभी स्वप्न में उन्हें एक दिव्य पुरुष के दर्शन हुए। राजा भोज ने बड़ी विनम्रता से उनका परिचय पूछा। दिव्य पुरुष बोले,  “मैं सत्य हूं। मैं तुम्हें तुम्हारी उपलब्धियों का वास्तविक रूप दिखाने आया हूं। चलो, मेरे साथ।

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राजा भोज उत्सुकता और खुशी से उनके साथ चल दिए। दिव्य पुरुष राजा भोज को उनके ही एक शानदार बगीचे में ले गए और बोले, “तुम्हें इस बगीचे का बड़ा अभिमान है न। फिर उन्होंने एक पेड़ को छुआ। उनके छूते ही पेड़ सूख गया। एक-एक करके वह सभी सुंदर फूलों से लदे वृक्षों को छूते गए और वे सब सूखते चले गए। इसके बाद वह राजा भोज को एक स्वर्णजड़ित मंदिर के पास ले गए। राजा भोज को वह मंदिर अतिप्रिय था। दिव्य पुरुष ने जैसे ही उसे छुआ, उसकी चमक गायब हो गई। वह लोहे की तरह काला हो गया और खंडहर की तरह गिरता चला गया। यह देख राजा भोज के तो होश उड़ गए। फिर वे दोनों उन सभी स्थानों पर गए जिन्हें राजा भोज ने बनवाया था।”

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दिव्य पुरुष बोले, “राजन, भ्रम में मत पड़ो। भौतिक वस्तुओं के आधार पर महानता नहीं आंकी जाती। एक गरीब आदमी द्वारा पिलाए गए एक लोटे जल की कीमत, उसका पुण्य, किसी यश लोलुप धनी की करोड़ों स्वर्ण मुद्राओं से कहीं अधिक है।”

इतना कह कर वे अंतर्ध्यान हो गए। राजा भोज ने स्वप्न पर गंभीरता से विचार किया और फिर ऐसे कामों में लग गए जिन्हें करते हुए उन्हें यश पाने की लालसा बिल्कुल नहीं रही।

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Content Editor

Sarita Thapa

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