Motivational Story: गंदगी फ़ैलाने वाले लोगों को देनी चाहिए ये सजा, तभी आएगा समाज में बदलाव

punjabkesari.in Sunday, Jul 07, 2024 - 09:16 AM (IST)

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Motivational Story: उन दिनों बनारस नगरी में शीतल नाम के एक विद्वान रहते थे। वह शांत प्रकृति एवं नेकदिल इंसान थे। उनकी धैर्यशीलता और दयालुता के कारण कई लोग उन्हें त्याग एवं तपस्या का साक्षात देवता कह कर पुकारते थे।

लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जो उनसे ईर्ष्या रखते थे। कोई न कोई बहाना ढूंढ कर हमेशा उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश में लगे रहते। वे रात्रि के समय अपने घर का तमाम कूड़ा-कर्कट एकत्रित करके उनके घर के आगे फेंक आते। कई बार वे कांटे तथा नुकीले कंकर-पत्थर भी बिछा दिया करते।

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प्रात:काल जब शीतल की नींद उचटती तो वह अपने घर के आगे फैली तमाम गंदगी को अपने हाथों से उठाकर कूड़ेदान में फेंक आते। एक दिन शीतल के एक खास मित्र ने पंचायत के समक्ष चर्चा करते हुए कहा कि वह तो शांत प्रकृति के इंसान हैं लेकिन कुछ शरारती लोग उन्हें बिना वजह परेशान करते रहते हैं, अंत: ऐसे लोगों को दंड देना चाहिए।

पंचायत के मुखिया ने शीतल से पूछा, “उन दुष्टों को कैसा दंड दें ?” 

इस पर वह बोले, “नहीं, मैं किसी भी तरह के दंड की आवश्यकता नहीं समझता।”

“तो फिर आप कब तक उन दुष्ट लोगों की शरारत को यूं ही सहन करते रहेंगे ?” 

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मुखिया ने सवाल किया।

शीतल ने मंद-मंद मुस्कुराते हुए कहा, “मैं तब तक ऐसा करता रहूंगा जब तक कि उनके पत्थर दिल में मेरे प्रति ईर्ष्या व विद्वेष की भावना समाप्त नहीं हो जाती।”

शीतल के इस जवाब के आगे उन दुष्ट लोगों को अपना शीश झुकाना पड़ा।

अब वे कूड़ा-करकट न फेंकने का संकल्प ले चुके थे तथा उनके सच्चे शिष्य भी बन गए थे।

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Content Editor

Prachi Sharma

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